वजन ज्यादा होना या बहुत कम होना हर दूसरे व्यक्ति की कहानी है। इसके लिए हर किसी को बहुत कुछ सुनना पड़ता है। कई लोग इस बात का मजाक बनाते हैं, ताने देते हैं। हर व्यक्ति की अपनी कद-काठी, रंग-रूप है। क्यों बच्चों के मन में भी बार्बीडाल, सिंड्रेला आदि की छवि ‘जीरो साइज’ की बनाई जाती है। क्यों उन्हें मोटा नहीं बनाया जाता। भारत तो क्या बल्कि दुनिया में कहीं भी वयस्क व्यक्ति ‘जीरो साइज’ की बात पर खरा नहीं उतरता, बच्चों की बात अलग है। पुरानी फिल्मों की नायिकाएं तो ऐसी नहीं होती थीं, फिर भी वे पूरी दुनिया पर छाई रही तो आज दुबली लड़की की बात क्यों की जाती है। जरूरत है तो अपने गुणों से अपनी पहचान बनाने की, सपनों को साकार करने की।
यह बात माडल व अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने शनिवार को इंदौर में मीडिया से हुई चर्चा में कही। हुमा ने अपनी आगामी फिल्म ‘डबल एक्सएल’ के बारे में भी चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म के जरिए बेशक बहुत बदलाव न हो, लेकिन लोग इस विषय पर सोचेंगे तो सही। मेरा मानना है कि बाडी शेपिंग की बात ही गलत है। जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दें, उसके गुणों को देखें।
पर्दे के आगे और पीछे अब महिलाएं भी – हुमा ने कहा कि अब फिल्मों के विषय भी बदल रहे हैं। एक वक्त था जब पुरुष प्रधान मुद्दों पर फिल्में बनती थी क्योंकि पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे पुरुष ही ज्यादा होते थे, इसलिए उनसे जुड़े मुद्दे ही सामने आ पाते थे। अब महिलाएं पर्दे के आगे और पीछे महत्वपूर्ण दायित्व निभा रही हैं। इसके ही परिणाम हैं कि जो उन्होंने अनुभव किया उसे वे फिल्मों के जरिए सामने ला रही हैं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को अपने मन की आवाज सुनना चाहिए। लोग क्या सोचेंगे, कहेंगे इस बारे में हम कब तक विचार करते रहें।