प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल संविधान की 75 वर्ष की गौरव यात्रा पर लोकसभा में आयोजित चर्चा के दौरान विकसित भारत के लिए देश के सामने 11 संकल्प रखे। इसमें नागरिक कर्तव्य, सबका विकास, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, आरक्षण मिलता रहे और यह धर्म के आधार पर न हो, जैसे संकल्प शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में देर शाम तक चली चर्चा में अपने वक्तव्य में कहा, “आज मैं इस सदन के पवित्र मंच से 11 संकल्प सदन के सामने रखना चाहता हूं। चाहे नागरिक हो या सरकार हो सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें। हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ मिले, सबका साथ-सबका विकास हो। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो, भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो। देश के कानून, देश के नियम देश की परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व होना चाहिए। गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो। देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले। संविधान का सम्मान हो, राजनीति स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए। संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए जिनको आरक्षण मिल रहा है, उसको न छीना जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे। महिला नेतृत्व में विकास हो और भारत दुनिया के लिए मिसाल बने। राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास हमारा मंत्र बने। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के 75 वर्ष की यात्रा यादगार रही है। यह विश्व के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की यात्रा है। संविधान निर्माता की दूरदृष्टि के कारण ही हम आगे बढ़े हैं और 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अतीत बहुत समृद्ध और विश्व के लिए प्रेरक रहा है। इसी कारण से भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भारत की एकता का आधार है। विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता भारत की एकता है। 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने पर लोकतंत्र और संविधान को मजबूती मिली है। गरीबों को मुश्किलों से मुक्ति मिले, उनकी सरकार का यह मिशन और संकल्प है। अगर हम अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करें तो कोई भी हमें विकसित भारत बनने से नहीं रोक सकता है।
पीएम ने कहा कि आज हमारी हर योजना महिला केंद्रित होती हैं। यह बहुत ही अच्छा सहयोग है कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के शीर्ष राष्ट्रपति पद पर एक आदिवासी महिला विराजमान है। हमारे सदन में और मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज भारत बहुत तेज गति से विकास कर रहा है, जल्द ही भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि आजादी की शताब्दी मनाने पर देश को विकसित भारत बना कर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 370 का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि यह अनुच्छेद देश की एकता में दीवार बनकर पड़ा था। इसलिए हमने अनुच्छेद 370 को जमीन में गाड़ दिया। उन्होंने कहा कि बहुत से कम लोगों को 35ए के बारे में पता है। भारत के संविधान का अगर कोई पहला पुत्र है तो यह संसद है लेकिन 35ए के माध्यम से संसद का भी गला घोटने का काम किया गया था।
प्रधानमंत्री ने धर्म के आधार पर आरक्षण लागू करने के कांग्रेस के षडयंत्र की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता धर्म के आधार पर आरक्षण के सख्त खिलाफ थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह न्यायपालिका के धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ कई फैसले दिए जाने के बावजूद वोट बैंक की राजनीति के लिए इसे लागू करने पर अड़ी हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान की आत्मा के खिलाफ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानूनों में संशोधन एकता की भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से किये गये। उन्होंने कहा कि यह संशोधन लोकतंत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने और जम्मू तथा कश्मीर में संविधान लागू करने के लिए किये गये। उन्होंने आगे कहा कि इन संशोधनों का उद्देश्य पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से नागरिकता प्रदान करना था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के निर्णयों से वंचित वर्ग के 50 करोड़ लोग बैंकिंग व्यवस्था में आये और महिलाओं को धुएं तथा धूल से स्वतंत्रता मिली। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के उठाये गये कदमों के कारण 25 करोड लोग गरीबी से बाहर आए।