प्रयागराज में महाकुंभ मेले में कुछ ही दिन बचे हैं। यहां 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का मेला शुरू हो रहा है और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। ऐसे में महाकुंभ की अलग-अलग अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन और ध्वजा स्थापित करने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। इस बीच प्रयागराज की दीवारों और गली मोहल्ले, चौराहों पर पौराणिक मूर्तियों की झलक देखने को मिलेगी। महाकुंभ मेले में प्रयागराज की शोभा बढ़ाने के लिए शहर की दीवारों और गली चौराहों और नुक्कड़ों पर पौराणिक मूर्तियां लगायी जा रही है। इसके साथ ही दीवारों पर मधुबनी चित्रकला के भी दर्शन होंगे। अधिकतर चित्र कलाकार मथुरा के हैं।
चित्र कलाकार कृष्ण मुरारी ने कहा, महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। कई पेंटिंग बनायी जा रही है। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि प्रयागराज की सुंदरता बढ़े और बाहर से आ रहे लोगों को कुछ खास देखने के लिए मिले। यहां आ रहे लोग भारत की सभ्यता और संस्कृति के बारे में जान सकें। यहां पर मधुबनी स्टाइल की चित्रकला है। कुछ पेंटिंग्स कुंभ से जुड़ी हुई हैं।
भगवान राम, माता सीता, हनुमान आदि को दर्शाते हुए पूरी रामायण को दीवारों पर बनाई जा रही है। फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट्स के अलावा कुछ मूक-बधिर युवा भी दीवारों पर पेंटिंग बना रहे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की टीम विशेष रूप से सनातन संस्कृति को बढ़ावा देते चित्रों को बना रही है। इनका कहना है कि नवंबर के अंत तक वो अपनी पेंटिंग को पूरा कर लेंगी। प्रयागराज के अलावा सुल्तानपुर, अयोध्या, बनारस, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि के छात्र इस काम में जुटे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रयागराज के प्रमुख चौराहों पर स्थापित करने का काम जोर-जोर से चल रहा है। कुल मिलाकर श्रद्धालुओं को इस बार प्रयागराज की धरती पर कदम रखते ही प्राचीन भारतीय संस्कृति की दिव्यता और अलौकिकता के दर्शन होंगे।