मार्गशीर्ष माह के बाद सोमवार से पौष माह की शुरुआत हो गई है। धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से इस माह का विशेष महत्व है। सामान्य बोलचाल में इसे पूस माह भी कहा जाता है। इस माह में भगवान लक्ष्मीनारायण और सूर्यदेव की आराधना की जाती है। पौष माह के गुरुवार को भी कई लोग व्रत रखते हैं और मनोकामना पूर्ति के लिए साधना, आराधना करते हैं। पौष माह सोमवार से शुरू होकर 13 जनवरी तक चलेगा, इसके बाद माघ माह की शुरुआत होगी। इस माह में बड़े त्योहार नहीं आते हैं, लेकिन कई व्रत पर्व रहेंगे। इसमें भगवान विष्णु, सूर्यदेव के साथ-साथ पितृरों के निमित्त भी पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
खरमास के कारण मांगलिक कार्य नहीं- पौष माह के साथ ही खरमास की भी शुरूआत हो गई है। सोमवार को सूर्य ने धनु राशि में प्रवेश कर लिया। इसके साथ ही खरमास प्रारंभ हो गया, जो मकर संक्रांति तक चलेगा। खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, प्राण प्रतिष्ठा सहित बड़े मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। आगामी 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मकर संक्रांति से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
सूर्य आराधना विशेष फलदायी:
पं. विष्णु राजौरिया ने बताया कि पौष में धनु की संक्रांति होती है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह दसवां महीना होता है। यह सूर्य का माह होता है, इसलिए इस महीने में सूर्य देव की उपासना, सूर्य को अर्घ्य देना विशेष फलदायी रहता है।
पौष माह के त्योहार
18 दिसंबर- गणेश चतुर्थी
23 दिसंबर- रुक्मिणी अष्टमी
26 दिसंबर- सफला एकादशी
28 दिसंबर- प्रदोष व्रत
30 दिसंबर- स्नानदान, सोमवती अमावस्या
06 जनवरी- उभय सप्तमी
10 जनवरी- पुत्रदा एकादशी