जम्मू-कश्मीर, खासकर घाटी में यह आंकड़ा हैरान करने वाला है कि वहां स्थानीय आतंकियों के मुकाबले विदेशी दहशतगर्द (पाकिस्तानी) बढ़ते जा रहे हैं। सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में ढेर होने वाले अधिकांश आतंकी, स्थानीय होते हैं। विदेशी दहशतगर्द किसी ऐसे ठिकाने पर छिपे हैं, जहां तक सुरक्षा बलों की पहुंच अभी नहीं हो सकी है। मौजूदा समय में 137 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें 54 स्थानीय और 83 विदेशी आतंकी हैं। इस साल अभी तक हुई दर्जनों मुठभेड़ में 168 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें 47 विदेशी आतंकी और 121 स्थानीय आतंकी शामिल हैं। सुरक्षा बलों के मुताबिक, पाकिस्तान अब नई रणनीति बना रहा है। इसमें विदेशी आतंकियों को बचाना और ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड आतंकी यानी दहशतगर्दी के नए किरदार तैयार करना शामिल है। जम्मू कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों की मदद से ही टारगेट किलिंग की वारदात को अंजाम दिया जाता है।
स्थानीय युवकों पर नजर रख रही आईबी एवं पुलिस
घाटी में मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बलों के एक बड़े अधिकारी के अनुसार, ये बात सही है कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकी कम हैं, जबकि पाकिस्तानी दहशतगर्द ज्यादा हो गए हैं। सुरक्षा बलों के निशाने पर आने वाले ज्यादातर आतंकी, स्थानीय होते हैं। पड़ोसी मुल्क के आतंकी संगठन, इस बात से वाकिफ हैं कि घाटी में अब पहले जैसी स्थिति नहीं है। आतंक एवं दूसरी वारदातों पर सुरक्षा बलों ने शिकंजा कसने में कामयाबी हासिल की है। पत्थरबाजी का दौर अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। पहले एनकाउंटर के दौरान भी पत्थर बरसते थे, अब ऐसा नहीं है। स्थानीय युवकों पर आईबी एवं जम्मू-कश्मीर पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट नजर रख रही है। किस घर से कौन, कब और कैसे गायब हुआ है, इस बात का पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है। इसका नियमित फॉलोअप होता है। इस वजह से सीमा पार के आतंकी संगठन परेशान हो गए हैं। वे आतंकियों की नई भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें घाटी में छिपे पाकिस्तानी आतंकियों को बचाना पड़ रहा है। जब उन्हें स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकी भर्ती करने में सफलता नहीं मिली तो वे हाईब्रिड आतंकी तैयार करने की रणनीति पर काम करने लगे।
जनता के बीच होने के कारण इन्हें पकड़ना मुश्किल
शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, घाटी में हो रही टारगेट किलिंग के पीछे हाइब्रिड आतंकियों का हाथ रहता है। ये आतंकी पुलिस की लिस्ट में नहीं होते और पब्लिक के बीच ही रहते हैं, ऐसे में इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं है। कश्मीरी पंडितों या गैर कश्मीरी लोगों की हत्या में इन्हीं लोगों का हाथ रहा है। घाटी में पाकिस्तानी आतंकी समूहों के द्वारा अब छोटे-छोटे आतंकी समूह खड़े किए जा रहे हैं। जब कोई टारगेट किलिंग होती है, तो उसके थोड़ी ही देर बाद किसी छोटे संगठन के द्वारा उसकी जिम्मेदारी लेने की खबर आ जाती है। हालांकि देर सवेर ये हाइब्रिड आतंकी भी सुरक्षा बलों का निशाना बन जाते हैं। हाइब्रिड आतंकियों को एके-47 स्वचालित राइफल मुहैया कराने की बजाए पिस्टल और हैंड ग्रेनेड दिए जाते हैं। इस साल 30 जून तक 125 आतंकी मारे गए थे। इनमें विदेशी आतंकियों की संख्या 34 से अधिक रही है। जम्मू कश्मीर में इस साल 65 से ज्यादा युवक, विभिन्न आतंकी तंजीमों में भर्ती हुए हैं। खास बात है कि गत वर्ष आतंकी भर्ती का आंकड़ा 142 था।