भोपाल । एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीन किताबों के विमोचन के बाद द्वितीय वर्ष में पढ़ाई जाने वाली तीन पुस्तकों को हिंदी में तैयार करने का काम शुरू हो गया है। पहले चरण में विभिन्न् लेखकों की जिन पुस्तकों को पढ़ाया जाना है, उन्हें चिह्नित कर लिया गया है। अब इनका हिंदी में रूपांतरण किया जाएगा। इसके लिए समिति भी बना दी गई है। इन पुस्तकों की आवश्यकता अगले साल मई से पड़ेगी इसलिए अप्रैल तक पुस्तकें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम वर्ष की तरह द्वितीय वर्ष की पुस्तकों में भी तकनीकी शब्द अंग्रेजी में स्पेलिंग के साथ लिखे जाएंगे।
समिति में शामिल प्राध्यापकों ने बताया कि प्रथम वर्ष की पुस्तकें तैयार करने में कई चुनौतियां थीं। अब अनुभव होने के बाद यह काम आसान हो गया है। द्वितीय वर्ष में माइक्रोबायोलाजी, पैथोलाजी और फार्माकोलाजी विषय पढ़ाया जाएगा। इस साल ज्यादा समय पुस्तकें चिह्नित करने, कापीराइट संबंधी वैधानिक चुनौतियों से निपटने और पुस्तक की सरल भाषा का चयन करने में लग गया था।
इसके लिए एक मुख्य समिति के अलावा अलग-अलग समितियां भी बनाई गई थीं। द्वितीय वर्ष में केवल पुस्तकें तैयार करने का काम ही करना होगा। अच्छी बात यह है कि एमबीबीएस में अलग-अलग वर्ष में लगने वाली पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद के लिए खुद लेखक आगे आ रहे हैं।
मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई कराई जा रही है। 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल के लाल परेड मैदान से इसका शुभारंभ किया था। इस साल प्रथम वर्ष में पढ़ रहे विद्यार्थी अगले वर्ष अप्रैल-मई में द्वितीय वर्ष में पहुंच जाएंगे। हिंदी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई कराने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। कालेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या करीब पांच प्रतिशत है।