हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का काफी महत्व होता है। कार्तिक के महीने में कई बड़े व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को प्रिय है। इस महीने श्रीहरि और लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। इसी महीने की देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चातुर्मास की योग निद्रा से जागते हैं। वहीं इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ गीतों के माध्यम श्री हरि का जगाया जाता है। एकादशी की शाम तुलसी विवाह कराने के बाद इन गीतों के माध्यम से भगवान विष्णु से जागने के आग्रह किया जाता है। आज हम आपके लिए देवउठनी एकादशी पर गाए जाने वाले कुछ खास गीत लेकर आए हैं।
देवउठनी एकादशी गीत
मूली का पत्ता हरिया भरिया ईश्वर का मुख पानी भरिया,
मूली का पत्ता हरिया भरिया रविन्द्र का मुख पानो भरिया।
(इसी तरह से परिवार के सब लड़कों के नाम लेते है।)
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो वीरेन्द्र तेरे यार।
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो पुनीत तेरे यार।
( इसी तरह से परिवार के सब लड़कों के नाम लें।
ओल्या कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो विमला तेरे बेटे।
ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो मनीषा तेरे बेटे।
(इसी तरह से परिवार की सब बहुओं के नाम लेते हैं।)
ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो सरला तेरे वीर।
ओल्या कोल्या धरे अंजीर जीयो पूनम तेरे बीर।
(इसी तरह से परिवार की सब लड़कियों के नाम लेते हैं।)
ओल्या-कोल्या लटके चाबी, एक दीपा ये तेरी भाभी।
ओल्या-कोल्या लटके चाबी एक शगुन ये तेरी भाभी।
(इसी तरह से परिवार की सब लड़कियों के नाम लेते हैं।)