सोशल मीडिया के जरिए हो रही बाघ के अंगों की तस्करी
देश में बाघ संरक्षण परियोजना के अच्छे परिणाम आ रहे हैं लेकिन पुराने शिकारियों ने नए तरीके अपना कर उत्तर-पूर्व व म्यांमार के रास्ते चीन तक बाघ के अंगों की तस्करी (Tiger Body Parts Smuggling) का नया नेटवर्क तैयार कर लिया है। शिकारियों को हवाला के जरिये आए पैसे का भुगतान किया जा रहा है। पांच राज्यों की पुलिस और चार केंद्रीय जांच एजेंसियों ने इस नेटवर्क का पता लगने के बाद तेजी से कार्रवाई की है। साथ ही वन्य जीव अपराध रोकने के लिए जिम्मेदार वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) ने रेड जारी कर राज्यों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में बाघ के शिकारी गिरोह ज्यादा सक्रिय हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की सीमा पर चंद्रपुर से बहेलिया गैंग के अजीत पारदी के पकड़े जाने के बाद तहकीकात से उत्तर-पूर्व और म्यांमार तस्करी के पूरे नेटवर्क का पता चला। मौके से फरार अजीत के भाई का मोबाइल बरामद होने पर उसे 18 लाख रुपए के भुगतान का पता चला। मनी ट्रेल का पीछा करने पर जांच एजेंसियां शिलांग के लालनेइसुंग और निंग सान लून तक पहुंची। लून म्यांमार में रहती हैं और तस्करी में मदद करती हैं। उसके पति लियांग मुंग की तस्करी का माल मणिपुर में चुराचांदपुर सीमा से म्यांमार पहुंचाने में प्रमुख भूमिका रहती है।
सुंग, लुन और मुंग को गिरफ्तार किया गया है। तस्करी के माल का भुगतान हवाला के जरिये मिजोरम की राजधानी आइजोल निवासी जमखान कप तक पहुंचता है। डब्ल्यूसीसीबी की अगुवाई में सीबीआई, डीआरआई और ईडी इन मामलों में समन्वय से आगे तहकीकात कर रही हैं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों की पुलिस से भी इनपुट लिए जा रहे हैं।