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पहली बार जनजातीय वर्ग को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने हुआ गंभीर प्रयास : मुख्यमंत्री चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जनजातीय वर्ग को महत्वपूर्ण अधिकार देने के उद्देश्य से प्रदेश में 15 नवम्बर से लागू पेसा नियम को जमीन पर उतारने के लिए कलेक्टर्स संबंधित विभिन्न विभागों के साथ सक्रिय भूमिका का निर्वहन करें। पेसा जागरूकता सम्मेलन से संबंधित वर्ग को नियमों की विस्तृत जानकारी दी जाए। आज नर्मदापुरम जिले के केसला में पेसा जागरूकता सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ है। अन्य जिलों में भी ऐसे सम्मेलन किए जाएंगे। साथ ही 22 नवम्बर को राज्य स्तरीय पेसा कार्यशाला भोपाल में होगी। इसमें 7 संभाग – चम्बल, उज्जैन, इंदौर, नर्मदापुरम, जबलपुर, शहडोल और रीवा के कमिश्नर्स और आईजी, 20 जिले श्योपुर, रतलाम, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिंडौरी, बालाघाट, शहडोल, अनुपपूर, उमरिया और सीधी के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक, डीएफओ और जिला पंचायत के सीईओ हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा पेसा जागरूकता कार्यक्रम संबंधी निर्देश कलेक्टर्स को दिये।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश के जनजातीय भाई-बहनों के लिए पेसा के नियमों को पूरी ताकत के साथ लागू करने का पहली बार गंभीरता से प्रयास हुआ है। प्रदेश के 20 जिलों के 89 विकासखण्डों की 5 हजार 254 पंचायतों के 11 हजार 757 ग्रामों में यह नियम लागू हैं। इन ग्रामों की ग्राम सभाएँ 20 नवम्बर से 3 दिसम्बर के मध्य होंगी। इन विशेष ग्राम सभाओं में पेसा नियमों के बिन्दुओं पर चर्चा के साथ विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसी तरह ग्राम सभाएँ पेसा नियम लागू होने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पारित करेंगी और 4 दिसम्बर को टंट्या मामा बलिदान दिवस के कार्यक्रमों में भागीदारी पर भी चर्चा करेंगी। प्रभारी मंत्रियों के परामर्श से कलेक्टर्स ग्राम सभा की तारीख तय करेंगे।

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