सनातन धर्म में देवी-देवताओं के वाहन के लिए कई पशु-पक्षियों का वर्णन किया गया है। भगवान शिव के लिए नंदी, गणेश जी के लिए मूषक, मां लक्ष्मी के लिए उल्लू और भगवान विष्णु के लिए गरुड़ को उनका वाहन बताया है। कहा जाता है कि देवी-देवता जब भी पृथ्वी पर आगमन करते हैं तो वे अपने इन्हीं वाहनों पर सवार होकर आते हैं। ऐसे में देवी-देवताओं के वाहनों को देखना काफी शुभ माना जाता है। स्वप्न शास्त्र में सपने में दिखने वाली हर एक चीज के बारे में बताया गया है। इन चीजों का दिखना भविष्य के लिए विशेष संकेत देता है।
शनिदेव की सवारी कौवा
शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। शनिदेव के वाहन कौवे को पितरों का प्रतीक भी माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कभी त्योहारों पर आपके घर या आसपास कौवे दिखाई दे तो इससे घर में खुशहाली आती है। वहीं अगर घर की मुंडेर या आसपास हर समय कौवे मंडराते रहें तो इससे परिवार में आर्थिक तंगी आने का खतरा रहता है। वहीं इसे किसी गंभीर बीमारी होने का संकेत भी माना जाता है।
यमराज का वाहन भैंसा
पुराणों में यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है। माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज, भैंसे पर सवार होकर उसके प्राण लेने आते हैं। ऐसे में अगर आप सपने में भैंसा देखते हैं तो इसे किसी अनिष्ट का सूचक माना जाता है। ऐसा सपना देखने का अर्थ किसी खास परिचित की मृत्यु की ओर संकेत करता है। ऐसा सपना शुभ नहीं माना जाता है।
विष्णु जी का वाहन गरुड़
भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ है। गरुड़ को अपनी तेज नजर, मजबूत पकड़ और जबरदस्त शिकारी क्षमता की वजह से उसे पक्षीराज भी कहा जाता है। भगवान विष्णु का वाहन होने के बावजूद सपने में गरुड़ का दिखना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि गरुड़ मांसाहारी प्राणी है और वह जहां बैठता है, वहां मांस के टुकड़े छोड़ जाता है। घर की छत पर भी गरुड़ का बैठना ठीक नहीं माना जाता है।