RSS ने संविधान में शामिल ‘सोशलिस्ट और सेक्युलर’ शब्दों पर खुली बहस की जरूरत – दत्तात्रेय होसबाले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने संविधान (constitution) की प्रस्तावना में जोड़े गए सोशलिस्ट (socialist) और सेक्युलर (secular) शब्द पर खुली बहस की बात कही है। उन्होंने कहा कि ये दोनों शब्द मूल संविधान में नहीं थे। इमरजेंसी (Emergency) के दौरान इन शब्दों को जोड़ा गया था। ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में होसबाले ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संसद और न्यायपालिका काम नहीं कर रही थी। इसी दौरान दोनों शब्दों को जोड़ा गया। अब ये शब्द संविधान में रहे या न रहे, इसे लेकर देश में खुली बहस होनी चाहिए।
संविधान की हत्या की गई थी
होसबाले ने संसद में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि इमरजेंसी के समय संविधान की हत्या की गई थी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी। होसबाले ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान एक लाख से अधिक लोगों को जेल में डाला गया था। 250 से अधिक पत्रकारों को कैद किया गया था। 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी करवाई गई थी। अगर ये काम उनके पूर्वजों ने किया था तो उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।
42वें संशोधन में जोड़े गए थे दोनों शब्द
‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे। इस दौरान देश में आपातकाल था। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा था।
क्या है दोनों शब्दों के मायने
सोशलिस्ट (समाजवादी): ऐसी व्यवस्था जिसमें आर्थिक और सामाजिक समानता हो, संसाधनों का समान वितरण हो और गरीबों, कमजोरों के अधिकारों की रक्षा की जाए। भारत में आर्थिक व सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया जाए।
सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष): राज्य सभी धर्मों का सम्मान करता है। किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेता। धर्म से ऊपर उठकर शासन करता है। भारत के एक धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र रहेगा। सभी धर्मों का सम्मान होगा।