बिहार चुनाव : पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस देने के प्रस्ताव पर मचा बवाल
बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों जोरों शोरों से चल रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैरियारियों को धार देने में जुट गई है। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक नई योजनाएं पेश कर रहे है। इसी कड़ी में नीतीश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट की बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। अब इसको लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार पर जोरदार हमला बोल रही है।
विपक्ष ने सरकार पर बोला तीखा हमला
पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस के प्रस्ताव को लेकर विपक्ष पर हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि बिहार सरकार स्वीकार कर चुकी है कि वह प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने में फेल हो गइ है। इसलिए अब पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार लेने की छूट देर ही है। बिहार में अपराध इतना बढ़ चुका है कि वे अपनी सुरक्षा खुद करे।
किस आधार पर दिया जाता है लाइसेंस हथियार
किसी भी प्रतिनिधियों को उनके पद के आधार पर हथियार लाइसेंस जारी नहीं किया जाता है। इसके लिए एक व्यक्ति को कुछ मानदंडों को पूरा करना जरूरी होता है। जैसे कि आत्मरक्षा या खेलकूद जैसे वैध कारण होने चाहिए। आवेदन करने के बाद संबंधित अधिकारी उसकी जांच पड़ताल करते हैै। वैध कारण पाए जाने के बाद उनको लाइसेंस जारी करते है।
हथियार लाइसेंस के लिए जरूरी दस्तावेज
— आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होनी चाहिए।
— आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
— निवास प्रमाण पत्र
— जन्म प्रमाण पत्र
— फिटनेस प्रमाण पत्र
— शस्त्र का वैध स्रोत
— दो पासपोर्ट आकार के फोटोग्राफ
हिंसक मामले में टॉप पांच राज्यों में बिहार
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत में अपराधों के मामलों में शीर्ष पर उत्तर प्रदेश रहा। इसके बाद अपराधों के पायदान पर क्रमश: केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार का रहे। एनसीआरबी के अनुसार, बिहार 2017 से 2022 के बीच हिंसक अपराधों के मामले में लगातार शीर्ष पांच राज्यों में शुमार रहा है।