Trump के फैसले से IT सेक्टर में मचा भूचाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) के H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर एक लाख डॉलर प्रति वर्ष करने की घोषणा ने भारतीय आइटी सेक्टर और विशेष रूप से ‘देसी सिलिकॉन वैली’ कहे जाने वाले बेंगलूरु के तकनीकी विशेषज्ञों व कंपनियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। इस कदम का सबसे बड़ा असर उन हजारों भारतीय पेशेवरों पर पड़ा है, जो अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं। जिनके करियर व परिवार का भविष्य इसी वीजा पर टिका हुआ है।
कैलिफोर्निया में रह रहे कर्नाटक मूल के एक तकनीकी विशेषज्ञ दंपती ने कहा कि वे असमंजस में हैं कि उनकी कंपनियां साल-दर-साल इतना बड़ा खर्च वहन करेंगी या नहीं। इनमें से एक अमरीकी कंपनी और दूसरा भारतीय कंपनी में कार्यरत है। महिला विशेषज्ञ ने कहा, क्या हमारी कंपनियां हमें अमरीका में बनाए रखने के लिए साल-दर-साल इतना खर्च करेंगी? क्या हम यह पैसा खुद चुका सकते हैं? बिल्कुल नहीं। हम पहले से ही अनिश्चितता और डर में जी रहे हैं।
भारतीय कर्मचारियों पर गहरा असर
अमरीका में कार्यरत करीब तीन लाख भारतीय तकनीकी कर्मचारियों पर इस फैसले का सीधा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इनमें से लगभग 1.25 लाख कर्मचारी कर्नाटक से हैं। एक्सेंचर इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और जीसीसी कंसल्टिंग फर्म के सीईओ अविनाश वशिष्ठ ने कहा कि यह शुल्क वृद्धि अमरीका और भारत दोनों जगह कंपनियों के प्रतिभा प्रबंधन में बड़ा बदलाव लाएगी। वशिष्ठ ने बताया कि सबसे अधिक कमाई करने वाले एच-1बी वीजा धारकों में से 78% भारतीय हैं। लेकिन करीब 60% कर्मचारियों की कमाई सालाना एक लाख डॉलर से कम है। ऐसे में नया शुल्क उनके वेतन के बराबर या उससे अधिक हो जाएगा, जिससे अमरीका में उनका रोजगार टिकना मुश्किल हो जाएगा।
रीशोरिंग और एआइ पर असर
कई भारतीय वीजा धारकों ने बताया कि उनके भारतीय नियोक्ताओं ने उन्हें घटनाक्रम स्पष्ट होने तक काम पर न जाने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रीशोरिंग (काम वापस भारत लाने) की रफ्तार तेज होगी। लीडरशिप कैपिटल के सीईओ बी.एस. मूर्ति ने इसे वैश्विक पुनर्निर्धारण बताया। एक आइटी विशेषज्ञ ने कहा कि यह कदम कंपनियों को एआइ और ऑटोमेशन की ओर और तेजी से धकेलेगा। यह भारत के लिए यह रिवर्स ब्रेन ड्रेन का समय है।
जीसीसी और ऑफशोरिंग को बढ़ावा
विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीकी कंपनियां अब भारत में अपने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) और अनुसंधान केंद्रों का विस्तार करेंगी। एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल कारंत ने कहा कि आइटी कंपनियां इस परिदृश्य के लिए पहले से तैयारी कर रही थीं। वीजा शुल्क में वृद्धि ऑनसाइट नियुक्तियों को धीमा कर सकती है, लेकिन ऑफशोरिंग की गति और तेज होगी। भारत लागत-प्रभावी विकल्प बना रहेगा।
नैसकॉम की प्रतिक्रिया
उद्योग की शीर्ष संस्था नैसकॉम ने कहा कि आदेश का असर अमरीका के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और व्यापक रोजगार अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। संस्था ने माना कि ऑनशोर प्रोजेक्ट्स की निरंतरता प्रभावित होगी, लेकिन कंपनियां ग्राहकों के साथ मिलकर समाधान तलाशेंगी। नैसकॉम ने यह भी रेखांकित किया कि हाल के वर्षों में भारतीय आईटी कंपनियों ने स्थानीय नियुक्तियों पर जोर देकर वीजा पर अपनी निर्भरता घटाई है।
अमरीकी कंपनियों के लिए भी चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह निर्णय न केवल भारतीय आइटी पेशेवरों बल्कि अमरीका में आइटी सेक्टर की कंपनियों के लिए भी चुनौती लेकर आया है। लेकिन, तत्काल असर उन हजारों भारतीय परिवारों पर पड़ेगा जो एच-1बी वीजा के भरोसे अमरीका में जीवन और करियर बना रहे हैं या जिन्हें उनकी कंपनियां अमरीका भेजने की तैयारी कर रही थी।
