हिंदी को लेकर केंद्र ने तमिलनाडु सकरार को दिया स्पष्ट संदेश
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने रविवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा तीन भाषा नीति का विरोध करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसी पर भी कोई भाषा थोप नहीं रही है। उन्होंने कहा कि केवल संकीर्ण राजनीतिक सोच रखने वाले लोग ही तीन भाषा नीति को विवादास्पद बना रहे हैं।
वे यहां आइआइटी मद्रास परिसर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु के स्कूलों में तमिल, अंग्रेजी, तेलुगू, उर्दू, मलयालम, कन्नड़ जैसी कई भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं।
जब तमिल और अंग्रेजी के अलावा भी इतनी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, तो तीसरी भाषा से क्या समस्या है? यह तमिलनाडु का राजनीतिक निर्णय है।”
केवल राजनीतिक विरोध
उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार कोई भाषा किसी पर थोपने का प्रयास नहीं कर रही है। कक्षा 1 से 5 तक दो भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। कक्षा 6 से 10 तक तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, इनमें से एक मातृभाषा जरूर होती है, बाकी दो छात्र अपनी पसंद से चुन सकते हैं।
भारत सरकार किसी भी भाषा को थोपने का प्रयास नहीं कर रही है। इसका विरोध राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित है, जबकि हम समाज में नई मानसिकता लाने का प्रयास कर रहे हैं।
कई राज्यों में तीन भाषाएं
धर्मेन्द्र प्रधान ने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य तीन भाषा नीति का पालन कर रहे हैं, जहां छात्र हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी या तमिल जैसी कोई भी भाषा चुन सकते हैं।
उन्होंने तीन भाषाएं क्यों का जवाब दिया कि भारत में केवल लगभग 10 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं, बाकी अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में संवाद करते हैं।
प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु के लोग अपनी भाषा से गहरा प्रेम करते हैं, मैं स्वयं ओड़िया हूं और अपनी भाषा से प्रेम करता हूं, लेकिन अन्य भाषाओं का भी सम्मान करता हूं। जिन्होंने भाषा के आधार पर समाज में विभाजन की कोशिश की, वे असफल रहे हैं। समाज इससे आगे बढ़ चुका है।
शिक्षा कोष को लेकर भेद नहीं
शिक्षा कोष को लेकर तमिलनाडु के आरोपों पर धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के साथ कोई भेदभाव नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा, “यह राजनीतिक मुद्दा है। मैंने कई बार तमिलनाडु में और संसद में इस पर बात की है। देश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाया है और उसका पालन करना जरूरी है।”
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कई योजनाओं के लिए केंद्र ने आवश्यक धनराशि दी है। “पीएम पोषण (मिड-डे मील) योजना के लिए हर साल फंड दिया गया है, इस साल भी आवंटन किया गया। वयस्क शिक्षा कार्यक्रमों के लिए भी तमिलनाडु को फंड मिला है।”
राइट टू एजुकेशन (आरटीई) फंडिंग पर प्रधान ने कहा कि अदालतों ने इस संबंध में कुछ निर्देश दिए हैं और मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकार की बताई है। “मैंने तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री से मुलाकात की है, उनसे पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है।”
