मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अभी तक मध्यप्रदेश को कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में जाना जाता था। मध्यप्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति लागू होने के बाद अब प्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी। प्रदेश में इस नीति को तत्परता के साथ लागू किया जायेगा। नीति को तैयार करने में वैज्ञानिकों के अमूल्य योगदान की मुख्यमंत्री चौहान ने सराहना की।
मुख्यमंत्री चौहान ने प्रशासन अकादमी भोपाल में मध्यप्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति-2022 का विमोचन किया। उन्होंने नीति के उद्देश्यों एवं प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश भी डाला। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इस नीति के प्रमुख तीन उद्देश्य हैं। वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाना, सरकार और समाज में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना और नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने वाली पीढ़ी का निर्माण करना।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान का लोक व्यापीकरण किया जायेगा। इसके लिये सब मिल कर प्रयास करेंगे। जिज्ञासा बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमारी जिंदगी बदल देता है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यदि इच्छा शक्ति हो, तो व्यक्ति बड़े से बड़ा काम कर सकता है। विज्ञान और आध्यात्म एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में राज्य नवाचार कोष की स्थापना की जायेगी। भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने में विज्ञान और तकनीकी का पूरा उपयोग किया जायेगा। मध्यप्रदेश आध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। भारतीय कैलेण्डर अधिक सटीक और वैज्ञानिक है। मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर प्राचीन काल-गणना का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हम आज के युग में डाटा की महत्वता समझते हैं। कोडिंग लेब, क्यूरोसिटी लेब के लिए प्रयास करेंगे। भारतीय ज्ञान परम्परा का प्रभावी उपयोग करेंगे। हम आध्यात्म और विज्ञान में अग्रणी रहे हैं। वैद्य नाड़ी देख कर ही बीमारी का पता कर लेते हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारत की 5 ट्रिलियन की इकॉनोमी में मध्यप्रदेा 550 बिलियन का योगदान करेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि नये प्रयोगों से जन-सामान्य को सुविधाएँ पहुँचाई जा रही है। गाँव-गाँव तक विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के हर व्यक्ति का जीवन आनंदमय हो, इसके लिये मुख्यमंत्री चौहान लगातार प्रयासरत हैं। आने वाली पीढ़ी को टेक्नालॉजी के माध्यम से अच्छा वातावरण दे सकते हैं। प्रधानमंत्री जी ने “जय विज्ञान-जय अनुसंधान” का नारा दिया है। इस दिशा में प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान के प्रति जागरूकता को पूरे भारत में नंबर-1 पर लाने की कोशिश होगी।
प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकुंज रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में टेक्नालॉजी और नवाचार से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है। यह नीति मुख्यमंत्री चौहान के विजन को प्रस्तुत करती है। अधिकाधिक छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढ़ाई को चुनेंगे। निवेश, रोजगार बढ़ेगा और अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
प्रो. रजत मोना ने कहा कि आज हम मध्यप्रदेश शासन के साथ एमओयू साइन कर रहे हैं, जिससे सेन्टर फॉर केपेसिटी बिलिंग की स्थापना होगी। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि यह पालिसी यूनिक है, जो बहुत कम स्टेट में है। इससे बहुत प्रभाव पड़ेगा। मध्यप्रदेश की साइंस इकोसिस्टम को सुदृढ़ करेगी। पॉलिसी महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है, जो सराहनीय है।
अटल बिहारी वाजपेयी नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश के लिए यह पॉलिसी महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान की भूमिका में साइंस एवं टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। इंडियन इन्स्टीटयूट ऑफ साइंस में प्रो. सूद का महत्वपूर्ण सराहनीय योगदान है। केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन में बेहतर कार्य हो रहा है। टेक्नालॉजी कई क्षेत्रों में कार्य कर सकती है। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचे। मध्यप्रदेश में डिजिटल टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश तीसरा राज्य बन गया है।
पद्मविभूषण विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि साइंस टेक्नोलॉजी को हम महसूस कर रहे हैं। हमारे जीवन में साइंस- टेक्नालॉजी से सुधार हुआ है। साइंस को समाज के साथ जोड़ कर पूरा उपयोग किया जा सकता है। समाज की प्रगति के लिए साइंस का समाज के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इनोवेशन को आगे बढ़ायें। आज हमारी साइंस-टेक्नालॉजी को गति मिली है।