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”आज देश के लिए मरने की नहीं, जीने की ज़रूरत है” – मुख्यमंत्री

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज हर घर तिरंगा अभियान के तहत एक स्कूल में बच्चों को तिरंगे और देश के महान क्रांतिकारियों के बारे में शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि ‘विजयी वश्वि तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए।’ यह केवल गीत नहीं आजादी की लड़ाई का मंत्र था। हमारे देश का 5000 सालों का ज्ञात इतिहास है। जब दुनिया के विकसित देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था, तो हमारे देश में वेदों की ऋचाएं रची गई थीं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अंग्रेजों के साथ लड़ाई सन 1761 में ही शुरू हो गई थी। सन 1761 में सन्यासी विद्रोह से हमारी लड़ाई शुरू हुई फिर 1857 आया , जिसमें अमर क्रांतिकारी मंगल पांडे ने क्रांति शुरू की।
मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों को बताया कि आजादी की लड़ाई की बाद में दो धाराएं बन गईं। एक धारा थी अहिंसक आंदोलन वाली, दूसरी तरफ ऐसे क्रांतिकारी भी थे जिन्होंने माना कि अंग्रेज केवल हाथ जोड़ने से भारत छोड़ के नहीं जाएंगे, अस्त्र-शस्त्र उठाने पड़ेंगे।
उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के ग्रीन पार्क में फहराया गया था। इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थीं, जिनके बीच में ‘वंदे मातरम्’ लिखा हुआ था, मतलब वंदे मातरम् भारत की आजादी का मूल मंत्र था।
उन्होंने यह भी बताया कि 1917 में लोकमान्य तिलक एवं श्रीमती एनी बेसेंट के नेतृत्व में होमरूल आंदोलन चल रहा था। इसका मतलब था कि ब्रिटिश गवर्नमेंट के अंतर्गत स्वशासन का अधिकार भारत को मिले। होमरूल आंदोलन के प्रमुख भाग के रूप में एक नया झंडा अपनाया गया था।

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