जोशीमठ की तरह ही उत्तराखंड के कई पहाड़ी शहर हैं जो सालों से दरारों और भूधंसाव की चपेट में हैं।
उत्तरकाशी, टिहरी और रुद्रप्रयाग में भी सैकड़ों भवन और होटलों पर दरारें दिख रही हैं। जोशीमठ की घटना सामने आने के बाद यहां के लोगों को बेघर होने का डर सताने लगा है।
साढ़े बारह वर्ष पहले भूस्खलन की जद में आया था भटवाड़ी
आज से साढ़े बारह वर्ष पहले जोशीमठ की तरह ही उत्तरकाशी जनपद का भटवाड़ी कस्बा भी भूस्खलन की जद में आया था। अब यहां भी जोशीमठ जैसे हालात बनने लगे हैं। इसके कारण भटवाड़ी के ग्रामीणों को भी बेघर होने का डर सताने लगा है।
यहां भी 150 से अधिक भवन और होटलों में दरारें आ चुकी हैं। इसके चलते ग्रामीण न केवल भूधंसाव को लेकर खौफ में हैं, बल्कि उन्हें डर है कि भूकंप के हल्के झटके से भी उनके भवन जमीदोज हो जाएंगे। लेकिन, तंत्र भटवाड़ी की सुध लेने को तैयार नहीं है।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 30 किमी की दूरी पर भटवाड़ी कस्बा स्थित है, जो गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। भटवाड़ी से गंगोत्री की दूरी 70 किमी है।
यह कस्बा सीमांत तहसील भटवाड़ी का मुख्यालय और ब्लाक मुख्यालय भी है। वर्तमान में यहां की आबादी 30 हजार के करीब है। अगस्त 2010 में भागीरथी में उफान आने के कारण भटवाड़ी के निकट कटाव शुरू हो गया, जिससे भटवाड़ी बाजार और गांव में भूस्खलन सक्रिय हुआ।