धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण को 64 कलाओं से युक्त माना गया है। जन्माष्टमी पर भक्त रात 12 बजे बाल गोपाल की पूजा करने के बाद व्रत खोलते हैं। लड्डू गोपाल को बांसुरी और मोर पंख बेहद प्रिय है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार जन्माष्टमी की पूजा में श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं को शामिल करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मोरपंख
सभी जानते हैं कि कृष्ण अपने मुकुट पर मोरपंख धारण करते हैं। इसलिए जन्माष्टमी की पूजा में मोरपंख जरूर रखें। मोरपंख को घर में रखने से नकारात्मकता समाप्त होती है।
मुरली
कन्हैया को मुरली बहुत प्रिय है। इसी कारण से उन्हें मुरलीधर भी कहा जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आप पर श्रीकृष्ण की कृपा बरसे तो पूजा में बासुंरी अवश्य चढ़ाएं।
शंख
शंख को शुभता का प्रतीक माना गया है। जन्माष्टमी पर शंख का प्रयोग कान्हा को नहलाने और पूजन के दौरान बजाने के लिए किया जाता है। ऐसे में जन्माष्टमी की पूजा के दौरान शंख जरूर रखें।
तुलसी
कोई भी पूजा प्रसाद के बिना अधूरी है। जन्माष्टमी के दिन जो भी प्रसाद बनाएं। उसमें तुलसीदल जरूर चढ़ाएं, क्योंकि भगवान कृष्ण को तुलसी बहुत प्रिय है। मान्यता है कि पूजा में तुलसी दल चढ़ाने से कान्हा प्रसन्न होते हैं। वह भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।
खीरा
जन्माष्टमी की पूजा में खीरा चढ़ाने का महत्व है। मान्यता है कि जिस प्रकार शिशु के जन्म होने पर मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है। वैसे ही जन्माष्टमी के दिन प्रतीक स्वरूप खीरे की डंठल को काटकर भगवान कृष्ण को उनकी मां देवकी से अलग किया जाता है।