दिल्ली, सेना के शीर्ष कमांडर सोमवार से पांच दिन तक सैन्य संचालन तैयारियों तथा सीमा पर चीन की चुनौती सहित विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार विमर्श करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 21 अप्रैल तक चलने वाले सम्मेलन को बुधवार को संबोधित करेंगे जो पहली बार हाइब्रिड मोड में हो रहा है। शीर्ष कमांडरों का सम्मेलन वर्ष में दो बार होता है और इसमें सेना की जरूरतों से लेकर सैन्य तैयारियों और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर स्थिति की समीक्षा के साथ साथ नीतिगत निर्णय लिये जाते हैं।
सम्मेलन के पहले दिन सैन्य कमांडर और वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक करेंगे और फिर व्यक्तिगत रूप से बैठक के लिए अगले दिन यहां मुलाकात करेंगे। सम्मेलन के दौरान कमान मुख्यालयों की ओर से विभिन्न बिन्दुओं को रखा जायेगा जिसके बाद अंडमान और निकोबार कमान के प्रमुख तथा सेना मुख्यालयों के प्रधान स्टाफ अधिकारी स्थिति की जानकारी देंगे। सम्मेलन में सेना में किये जा रहे सुधारों तथा बदलावों विशेष रूप से अग्निपथ योजना की प्रगति की भी समीक्षा की जायेगी। इसके अलावा डिजीटलीकरण, कॉबेट इंजीनियर टास्क तथा बजट प्रबंधन जैसे विषयों पर भी चर्चा की जायेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सम्मेलन को बुधवार को संबोधित करेंगे। वह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित उपकरणों , नवाचार , निगरानी तंत्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ट्रेनिंग रोबोटिक्स, वर्चुअल रिएलटी तथा संचालन लाजिस्टिक्स जैसे विषयों की भी समीक्षा करेंगे।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष, सेना प्रमुख , नौसेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख भी सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे। चीन में भारत के राजदूत रहे विजय गोखले भी भारत- चीन संबंधों के भविष्य के पहलुओं पर अपने विचार रखेंगे।