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भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न की प्राथमिकी की गुहार के साथ पहलवानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

WFI-sexual harassment case

दिल्ली, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाते हुए पहलवान विनेश फोगाट और अन्य ने दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान यह मामला उठाया‌। अधिवक्ता ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए पीठ से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई।

पहलवानों के विरोध पर हैरान करती है मोदी की चुप्पी: कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि देश के प्रमुख पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख एवं भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के विरोध में खड़े हैं लेकिन इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है।कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया कि आखिर मोदी सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है और इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि मशहूर पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक सहित कई अन्य पहलवान लगातार श्री सिंह का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने रविवार को भी यहां जंतर-मंतर पर भापजा सांसद के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध- प्रदर्शन किया लेकिन सरकार इस मुद्दे पर मौन है और उसकी चुप्पी हैरान करने वाली है।प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री से मौन तौड़ने का आग्रह करते हुए कहा, “मोदी जी चुप्पी तोड़िए। दुनिया में देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ी ‘यौन उत्पीड़न’ के खिलाफ जंतर-मंतर पर बैठे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।”उन्होंने ट्वीट कर दावा किया “विनेश फोगाट ने अपने परिवार के साथ अक्टूबर 2021 को महासंघ में हुए यौन शोषण के बारे में प्रधानमंत्री को इस मामले की जानकारी दी थी।” सुश्री फोगाट ने रविवार को इस संबंध में ट्वीट में कर कहा था, “हमें न्याय चाहिए।”कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी गत 19 जनवरी को श्री सिंह के विरोध में प्रदर्शन करने वाले पहलवानों का समर्थन किया था और आरोपों की जांच की मांग को उचित बताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। बाद में खेल मंत्रालय ने भी इस मामले पर ध्यान दिया और प्रमुख खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न, धमकी, वित्तीय अनियमितता और प्रशासनिक चूक के आरोपों की जांच के लिए समिति का गठन किया तथा डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति को जांच के दौरान फेडरेशन की गतिविधियों से अलग रहने को कहा था।

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