भोपाल, उपनगर कोलार की लाइफ लाइन कोलार सिक्स लेन निर्माण योजना का कार्य अब सब तरह की अफवाहों को खत्म करते हुए अपनी पूरी रफ्तार के साथ आगे बढ़ने लगा है।
निर्माण में बाधा बन रहे चिन्हित निर्माणों को शुक्रवार के दिन जिला प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। दिनभर में एक दर्जन पक्के निर्माण को हटाने की कार्रवाई की गई है।
हम आपको बता दें कि सिक्स लेन सड़क निर्माण में बार बार आई रही तकनीकी रुकावट और गोल से डी-मार्ट तक अब तक हुए निर्माण में सीवेज, केरवा जल की लाइन की शिफ्टिंग से सड़क निर्माण में देरी के कारण क्षेत्र में अफवाह उड़ा दी गई थी की राजनीति प्रभाव से कोलार सिक्स लेन सड़क का निर्माण तय की चौड़ाई 110 फिट से कम बनेगा, जहां जितनी जगह मिलेगी उतनी है चौड़ाई का बनेगा, प्रभावशाली लोगों के 2-4 फीट अतिरिक्त निर्माण को बचा लिया जाएगा। धनी आबादी क्षेत्र में सड़क की अधिकतम लंबाई 98 फीट ही होती है।
अंततः सभी अफवाहों को विराम देते हुए पिछले दिनों शहर के नए तेजतर्रार कलेक्टर आशीष सिंह ने कोलार सिक्स लेन रोड के कार्य का निरीक्षण करने के दौरान सख्त निर्देश दिए थे कि निर्माण में बाधा बन रहे अतिक्रमण को सख्ती से हटाते हुए निर्माण कार्य तेजी से किया जाए।
अभी तक 15 किलोमीटर की सड़क का कार्य अभी केवल गोल जोड़ से डी मार्ट के बीच ही होता दिखा है। जबकि काम शुरू हुए अक्टूबर 2022 से अब तक सात महीने का समय बीत चुका है।
सड़क निर्माण के पहले चरण में लाल निशान लगाकर चिह्नित निर्माण जिन्हें हटाया जाना है उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही थी।
कलेक्टर भोपाल के सख्त रवैये के बाद जिला प्रशासन की टीम और नगर निगम क अमले ने शुक्रवार को जेसीबी से ललिता नगर से कोलार थाने तक बाधा बन रहे 12 मकानों को हटाने की कार्रवाई की गई है। प्रशासन द्वारा शनिवार को विनीत कुंज से मंदाकिनी चौराहे तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
अतिक्रमण अधिकारी ने बताया की मकान मालिकों को दिया गया था अतिक्रमण हटाने का समय पिछले दिनों भी भूमि स्वामियों ने प्रशासन से खुद ही अपने अतिक्रमण को हटाने की बात कही थी, लेकिन समय सीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया। अब प्रशासन द्वारा सड़क के बीच में आ रहे अतिक्रमणों को जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए हटाया है।
इन स्थानों में प्रतिष्ठित और रसूखदारों के गुमठी, दुकानें और कांप्लेक्स बने हैं जिह्ने तोड़ने के लिए चिन्हित किया गया है। इनमें कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं जो की ज्यादातर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए हैं।