दिल्ली, 14 मई/ देश में सालाना 10 लाख टन से अधिक पुराने कपड़ों के रद्दी के रूप में निकलने और उसके कचड़े में फेके जाने से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभावों के बीच सिलाई मशीन बनाने वाली कंपनी ऊषा इंटरनेशनल ने इन कपड़ों से घरेलू जरूरत के लिए उपयोगी वस्तुयें बनाने की पहल शुरू की है। कंपनी का कहना है कि रोजमर्रा के जीवन में रिसाइक्लिंग को अपनाने की अहमियत पर जोर दिया जा सकता है। खासतौर पर इसका महत्व तब और ज्यादा हो जाता है, जब हम कूड़े-कचरे के निपटारे की समस्या का वास्तव में कोई समाधान खोजना चाहते होंदुनिया में भारत नगरपालिका में निकलने वाले ठोस कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में सालाना दस लाख टन से ज्यादा पुराने कपड़े रद्दी के रूप में निकलते हैं। यह तथ्य हमें कूड़े-कचरे के सुरक्षित निपटारे का ज्यादा जिम्मेदार तरीका अपनाने के लिए डराने वाला होना चाहिए।