दिल्ली, देश में सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने का पूरा ईकोसिस्टम इस तरीके से तैयार हो रहा है जिससे अगले कुछ दशकों तक भारत पूरे विश्व में सबसे सस्ते सेमीकंडक्टर चिप्स का सबसे प्रमुख आपूर्तिकर्ता होगा।संचार, इलैक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केन्द्रीय कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल में अपने मंत्रालयों के कामकाज की जानकारी देते हुए पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह बात कही।संचार मंत्री ने कहा कि नौ साल पहले संचार के क्षेत्र में केवल घोटालों एवं भ्रष्टाचार की चर्चा होती थी। आज संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलैक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में तेज प्रगति एवं नवान्वेषण दिखायी दे रहा है। डाटा एवं ध्वनि संचार की लागत विश्व में सबसे कम है। तकनीक का लोकतंत्रीकरण हुआ है। गरीब से गरीब लोगों के हाथ में तकनीक आयी है।उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासन काल में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को खत्म करने की तैयारी हो गयी थी लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन से यह कंपनी 1500 करोड़ रुपए के मुनाफे में आ गयी है। दो लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा चुका है। मोबाइल टावरों में काम आने वाले रेडियो उपकरणों का विनिर्माण भारत में हो रहा है और अमेरिका में निर्यात हो रहा है। देश में विकसित 4जी/5जी तकनीक विश्व भर में चर्चा में है। भारत ने 5जी तकनीक पर एक करोड़ कॉल एकसाथ करने का प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस स्वदेशी 5जी तकनीक के बारे में जी-7 की बैठक में दी गयी जानकारी पर तमाम बड़े देशों ने आश्चर्य व्यक्त किया।
सेमीकंडक्टर चिप्स के बारे में चर्चा करते हुए वैष्णव ने कहा कि भारत ने मोबाइल एवं अन्य डिजीटल उत्पादों के निर्यात में 105 अरब डॉलर के स्तर को पार कर लिया है। देश में सेमीकंडक्टर चिप्स उद्योग से जुड़े दो संशोधन होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर चिप्स उद्योग से जुड़ा पूरा ईको सिस्टम तैयार किया जा रहा है। सेमीकंडक्टर निर्माण में काम आने वाले 250 से अधिक बहुत संवेदनशील रसायन, फैब, अत्यंत शुद्ध तत्व आदि के विनिर्माण और प्लाज़्मा बनाने के लिए सामान्य लेज़र से अधिक पतली नैनो लेज़र बीम आदि के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से यह ईकोसिस्टम तैयार हो रहा है। वास्तव में सेमीकंडक्टर निर्माण की योजना 20 साल की है। यह उद्योग 650 अरब डॉलर का है जो वर्ष 2030 तक दोगुना होने की संभावना है।संचार मंत्री ने कहा कि इस समय यदि ताईवान में चिप्स बनाने की लागत 100 रुपए है तो पश्चिम में उसकी लागत 140 से 160 तक होगी लेकिन भारत में ईकोसिस्टम बन जाने के बाद उसी चिप्स की लागत 80 रुपए से कम आयेगी। उन्होंने कहा किहाल में वह अमेरिका गये थे जहां तमाम बड़े उद्यमियों एवं कारोबारियों ने भारत की सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम बनाने की योजना की सराहना की और विश्वास जताया कि भारत इस दिशा में ताईवान एवं चीन का विकल्प बन सकेगा।उन्होंने गुजरात के धौलेरा में सेमीकंडक्टर पार्क की सुविधाओं की जानकारी देते हुए कहा कि सेमीकंडक्टर पीएलआई योजना को लेकर देश के नौ राज्यों ने बेहतर काम किया है।