दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार से अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में रुपए को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा है कि पड़ोसी देशों समेत वैश्विक स्तर पर व्यापार में रुपए को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
स्वदेशी जागरण मंच की बीते सप्ताहांत में पुणे में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि
रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान को मंजूरी देने के ऐतिहासिक कदम के लिए सरकार को बधाई की पात्र है। सरकार को इस दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाने चाहिए।
वक्तव्य में कहा गया है कि सरकार को अधिक से अधिक देशों को व्यापार मुद्रा के रूप में रुपये का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। भारत को इसके लिए अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतें करने चाहिए। विदेशियों के लिए रुपए का प्रयोग सरल बनाने के उपाय करने चाहिए और रुपये के बाजार में अधिक तरलता प्रदान करने और व्यवसायों के लिए रुपया खाते खोलना आसान बनाया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में रुपये के उपयोग को बढ़ावा देते हुए विदेशी निवेशकों को भारतीय रुपए-मूल्यवर्गित संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित दियाा जाना चाहिए।
जागरण मंच ने कहा है कि मजबूत रुपये का बांड बाजार कारोबारियों को निवेश विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा और उनके लिए रुपये में पूंजी जुटाना आसान बना देगा। पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में रुपये के प्रयोग को बढ़ावा देने से भारत को इन देशों के साथ व्यापार के लिए विदेशी मुद्राओं के उपयोग की आवश्यकता को कम करने में मदद मिलेगी। अन्य देशों के साथ रुपये-मूल्य वाले व्यापार के लिए एक सामान्य ढांचा विकसित करने के लिए काम किया जाना चाहिए।
जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने कहा है कि इन कदमों को उठाकर, भारत रुपये को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्रा बनाने में मदद कर सकता है। यह डॉलर पर भारत की निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इसके कई लाभ हो सकते हैं। इसके अलावा भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भुगतान के लिए डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इसके कई लाभ हो सकते हैं। इसके अलावा भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भुगतान के लिए डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को डॉलर के मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करेगा और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।