दिल्ली, 08 जून/ उच्चतम न्यायालय लखनऊ अदालत परिसर में मारे गए मुजफ्फरनगर के खूंखार अपराधी गैंगस्टर संजीव
माहेश्वरी उर्फ जीवा की विधवा पायल की उस याचिका पर शुक्रवार को विचार करेगी जिसमें उसने पति के अंतिम संस्कार में भाग लेने के दौरान अपनी गिरफ्तारी पर एक दिन की रोक लगाने की गुहार लगाई है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और
न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने पायल की याचिका पर शीघ्र सुनवाई की उसकी गुहार स्वीकार करते
हुए कहा कि वह शुक्रवार को इस मामले पर विचार करेगी। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से उसके पति की मौत के तथ्य को अदालत के रिकॉर्ड पर लाने का आदेश यह कहते हुए दिया कि वह अख़बार और टीवी रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकती। पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने विशेष उल्लेख के दौरान इस मामले को उठाया था। न्यायमूर्ति बोस की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार सरकार का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि अगर उन्हें (पायल) को दाह संस्कार और अन्य अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी जाती है तो राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले को शुक्रवार को विचार करने के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। गैंगस्टर नेता मुख्तार अंसारी का करीबी माने जाने वाले जीवा की बुधवार शाम लखनऊ अदालत परिसर में हत्या कर दी गई थी। पायल पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज है। इसी वजह से उसने अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल होने की मांग को लेकर लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। पायल ने पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 मई के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर लगे गैंगस्टर एक्ट को रद्द करने की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।