कंजक्टिवाइटिस देखने से नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। कंजक्टिवाइटिस होने पर अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं, जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं, अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कास्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें। अपना रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि को रोज धोना चाहिए। एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी होना, जलन या खुजली होना, असामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना, आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना, आंखों में किरकिरी महसूस होना, आंखों में सूजन आ जाना जैसे लक्षण आएं तो सतर्क हो जाना चाहिए।
समय रहते नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें
समय रहते नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर इस समस्या से आसानी से राहत पाई जा सकती है। इसके दो प्रकार हैं, वायरल व बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस। कंजक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है।
विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही दवाओं का सेवन
कंजक्टिवाइटिस के कारण आंखों में तेज दर्द व चुभन महसूस होना, नजर धुंधली हो जाना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता व आंखों का अत्यधिक लाल हो जाना जैसे लक्षण सामने आने पर चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। 7-8 दिन में वायरल कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों में अपने आप सुधार आ जाता है। वार्म कम्प्रेस (कपड़े को हल्के गर्म पानी में डुबोकर आंखों पर रखना) से लक्षणों में आराम मिलता है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्राप्स और आइंटमेंट के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं। कंजक्टिवाइटिस होने पर 2-3 दिन के बाद भी तकलीफ़ बनी रहे तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।