लोकसभा में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक, 2023 पारित हो गया है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक वैश्विक स्तर पर भारतीय नागरिकों के डेटा की सुरक्षा के लिए है। इस विधेयक के तहत प्रत्येक डेटा उल्लंघन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। भारत में सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन डेटा इसके कानूनी डोमेन के अंतर्गत आएंगे।
क्यों थी इस विधेयक की जरुरत?
दरअसल, देश में डिजिटल क्रांति के बीच देश के नागरिकों के डेटा सुरक्षित रखने को लेकर दबाव बढ़ रहा था। इससे जुड़े अपराधों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जरुरी था कि ऐसा कानून बने जिससे आम लोगों का डेटा सुरक्षित हो और इसका उल्लंघन करनेवालों पर कड़ी कार्रवाई हो। यह डेटा प्रोटेक्शन बिल नागरिकों के डिजिटल अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करेगा और डेटा संबंधित फ्रॉड को नियंत्रित करेगा।
विधेयक की मुख्य बातें
अब देश के पर्सनल डेटा का संग्रह और उपयोग लीगल मीडियम से होगा और इसके मिसयूज को कंट्रोल करते हुए उसके प्रोटेक्शन को लेकर पारदर्शिता बनाई जाएगी।
यह भारत में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के तमाम ऐसे प्रसंस्करण पर लागू होगा जहां ऐसा डेटा ऑनलाइन याऑफ़लाइन एकत्र किया जाता है और डिजिटलीकृत किया जाता है।
व्यक्तिगत डेटा को किसी व्यक्ति की सहमति पर केवल वैध उद्देश्य के लिए संसाधित किया जा सकता है। यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल करने के लिए कंपनियों को अब परमिशन लेना होगा।
विपक्षी सांसद
व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन की स्थिति में बोर्ड और प्रभावित पक्षों को सूचित करने में विफलता और बच्चों के संबंध में अतिरिक्त दायित्वों को पूरा न करने पर 200 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
विधेयक व्यक्तियों को कुछ अधिकार प्रदान करता है जिसमें जानकारी प्राप्त करने, सुधार और मिटाने का अधिकार और शिकायत निवारण का अधिकार शामिल है।