एलपीजी सब्सिडी और मुफ्त राशन योजना का होगा मूल्यांकन
केंद्र सरकार चार लाख करोड़ रुपये की अब तक की सबसे बड़ी सब्सिडी योजनाओं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एलपीजी के मूल्यांकन की तैयारी में है। नीति आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। चार लाख करोड़ रुपये की इन सब्सिडी योजनाओं की समीक्षा इसलिए की जाएगी, ताकि होने वाले खर्च को तर्कसंगत बनाया जा सके। इसके साथ ही किसी तरह के रिसाव को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही लोगों तक लाभ पहुंच रहा है।
नीति आयोग से जुड़े विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय ने दोनों योजनाओं के मूल्यांकन के लिए एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी के लिए प्रस्ताव मंगाया है। इससे सालाना लगभग 4,00,000 करोड़ रुपये का खर्च आता है। महत्वपूर्ण खर्च के बावजूद भारत को अभी भी खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी परिणाम प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत वैश्विक भूख की आबादी में लगभग 30 फीसदी का योगदान देता है।
एमएसएमई के 256 करोड़ रुपये के दावे मंजूर
वहीं, सरकार ने विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास-1’ के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के 256 करोड़ के रिफंड से जुड़े 10,000 से अधिक दावों को मंजूर कर लिया है। योजना के तहत एमएसएमई कंपनियां कोरोना के दौरान सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं की ओर से जब्त प्रदर्शन या बोली गारंटी के 95 फीसदी राशि के रिफंड का दावा कर सकती हैं।
वित्त मंत्रालय ने कहा, कुल 256 करोड़ रुपये के रिफंड में एमएसएमई को सबसे ज्यादा 116.47 करोड़ की राहत पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दी है। रेलवे और रक्षा मंत्रालयों के तहत एजेंसियों के मामले में रिफंड क्रमशः 79.16 करोड़ और 23.45 करोड़ रुपये का है। इस्पात व बिजली मंत्रालय क्रमशः 14.48 करोड़ व 6.69 करोड़ रिफंड देंगे। विवाद से विश्वास योजना की घोषणा 2023-24 के बजट में हुई थी।
मीथेन उत्सर्जन रोकने के लिए जैविक अपशिष्ट काे निपटाना जरूरी
मीथेन उत्सर्जन को रोकने के लिए जैविक अपशिष्ट के निपटान पर सरकारों को काम करना चाहिए। साथ ही अपशिष्ट कचरा स्थल और जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं से मीथेन उत्सर्जन का सटीक अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी अध्ययन होना चाहिए। यह सलाह विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने जारी एक रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंडफिल साइट पर जैविक रूप से नष्ट होने वाले अपशिष्ट के निस्तारण को तत्काल चरणबद्ध करना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट में एक प्रमुख चिंता नगर निकायों के ठोस अपशिष्ट और मीथेन उत्सर्जन से संबंधित आंकड़े की अविश्वसनीयता व असमानता से जुड़ी है। इसे हल करने के लिए प्रथम-क्रम क्षय (एफओडी) विधि के उपयोग का सुझाव दिया है, जो लैंडफिल साइट से मीथेन उत्सर्जन का अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिए क्षेत्र के आंकड़े और प्राथमिक अनुसंधान पर निर्भर करती है।
वैश्विक नेतृत्व के लिए फार्मा उद्योग को नए उत्पादों पर देना होगा ज्यादा ध्यान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का कहना है कि वैश्विक नेतृत्व हासिल करने के लिए देश के फार्मा उद्योग को नवोन्वेषी उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय नीति को लॉन्च किया। इसी के साथ ही फार्मा क्षेत्र के लिए सरकार ने एक पीआरआईपी योजना भी शुरू की है, जिसके तहत फार्मा कारोबार को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रसायन और उर्वरक व नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी उपस्थिति रहे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, आज एक ऐतिहासिक दिन है। फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हमें भारतीय फार्मा और मेड टेक क्षेत्रों को नवाचार आधारित उद्योग में बदलने की जरूरत है। नीति का उद्देश्य पारंपरिक दवाओं, फाइटोफार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।