हर साल सर्वपितृ अमावस्या आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन होती है। इस साल 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इसी दिन पितृपक्ष का समापन होता है। सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पितरों की पूजा से व्यक्ति को मृत्युलोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ इंद्र योग बन रहा है। इस योग में पितरों का तर्पण करना शुभ रहता है। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर अपनी कृपा परिवार पर बरसाते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त
आश्विन मास की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर को रात 09.50 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को रात्रि 11.24 पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन आप पंचांग द्वारा निर्धारित समय पर पूर्वजों को तिलांजलि दे सकते हैं।
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त – 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक।
अशुभ समय
राहुकाल – सुबह 09 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक।
गुलिक काल – सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक।
दिशा शूल – पूर्व।
इंद्र योग में करें तर्पण
आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर इंद्र योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इंद्र योग को शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इस योग में पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह योग सुबह 10:25 बजे पर प्रारंभ होगा।