MP election 2023: मध्यप्रदेश में सरकार बनाने पूरे आत्मविश्वास में नजर आ रहे हैं कमलनाथ

 

अवधेश पुरोहित (वरिष्ठ पत्रकार)

भोपाल।(आरएनएस)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मध्यप्रदेश में सरकार बनाने पूरे आत्मविश्वास और तेवर में नजर आर हे हैं। उनकी निजी सर्वे कंपनी से जो फीडबैक मिल रहा है। उसके अनुसार पार्टी 120 प्लस सीटें लाकर कंफटेंबल मेजेरिटी के साथ सरकार बना रही है। कमलनाथ के बंगले पर इन दिनों भावी मंत्री मंडल में पद पाने के इच्छुक नेताओं की आवाजाही बढ गई है।कांग्रेस ने नौकरशाहों को चुनाव अभियान के दौरान बार बार चेतावनी दे थी कि वो कांग्रेस के साथ पक्षपात बंद करें। अन्यथा सरकार बनाने की स्थिति में खमियाजा भुगतना पडेगा। इस चेतावनी का असर अब देखने को मिल रहा है। नौकरशाही के एक वर्ग के रवैए में बदलाव स्पष्ट देखने को मिल रहा है। कई अधिकारी कमलनाथ के बंगले पर जाते हैं। प्रदेश में ऐसे भी अधिकारी की कमी नहीं हैं। जो कमलनाथ के नजदीक लोगों को सधने में लग गए हैं। कमलनाथ सरकार की संभावना के मद्देनजर नौकरशाही का वह वर्ग सबसे सबसे अधिक प्रसन्न है जो भाजपा सरकार के समय अपेक्षित रहा।यही वर्ग बढ चढकर कमलनाथ से नजदीकी बढाने में लगा हुआ है। कमलनाथ के कतिपय समर्थकों को उपमुख्यमंत्री बनने के सपने भी आने लगे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेसी तीन दिसंबर का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि तीन दिसंबर के दोपहर 12 बजे बाद प्रदेश के राजनैतिक पटल पर मंजर बदल जाएगा।

कमलनाथ ने बकायदा सभी प्रत्याशियों और जिला प्रभारी से मतदान केंद्रों के हिसाब फीडबैक लिया है।उनके द्वारा हायर की गई पालिटकल रिसर्च कंपनी भी लगातार मतदान की टेड का विश्लेषण कर रही है।कांग्रेस को पूरा विश्वास है कि मध्यप्रदेश में पर्याप्त बहुमत के साथ सरकार बना रही है। मतगणना के समय सरकारी तंत्र कोई गड़बड़ी न करें इसके लिए कमलनाथ ने बकायदा प्रशिक्षण दिया है।इसके अलावा 3 दिसंबर के बाद की स्थिति से निपटने के लिए कांग्रेस के प्लान बी तैयार किया है। इसके अनुसार यदि कांग्रेस बहुमत से थोड़ा सा दूर रहती है तो पार्टी के ही बागी प्रत्याशियों को साथ लेने की कोशिश जाएगी जो जीत हासिल करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस बसपा,सपा और आम आदमी पार्टी से संपर्क करने के लिए अलग से व्यवस्था करने वाली है। कमलनाथ ने केन्द्रीय स्तर पर के सी वेणुगोपाल और जय रमेश अन्य दलों के विधायकों का समर्थन लेने के लिए संपर्क साधने के लिए तुरंत कोशिश करेंगे।

कमलनाथ के खास लोग सुरेश पचौरी,विवेक तंखा,उनके बेटे सांसद नकुल नाथ,सज्जन सिंह वर्मा,तरूण भानोट,बाला बच्चन,रवि जोशी,प्रवीण पाठक जैसे नेता चुनाव बाद के मैनेजमेंट को संभालेंगे। कमलनाथ ने इस संबंध में विभिन्न नेताओं को संभाग के हिसाब से जिम्मेदारी दी है। कहां कौन सा प्रत्याशी या दल के टिकट पर जीतने की स्थिति में है। कुल मिलाकर 2020 को हुए दल बदल और अपनी सरकार के पतन से उन्होंने पहले ही सावधानी और सतर्कता बरतनी प्रारंभ की है। खास बात यही की पलिटिकल मैनेजमेंट के मामले में इस बार इस सभी मैनेजमेंट मे कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह पर निर्भर नहीं है।

उन्होंने ने सभी प्रत्याशियों को निर्देश दिए हैं कि वह तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजे के बाद जुलूस निकाले और रात तक भोपाल पंहुच जाए सभी विधायकों को एक साथ ठहराने की व्यवस्था की जारही है. कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सरकार बनाने के अति आत्मविश्वास को देखते हुए राजधानी के बुजुर्ग नेताओं को स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती फिरोज गांधी के समय के समाजवादी नेताओं की चुनावी रणनीति का स्मरण हो आया जब चुनाव के दौरान समाजवादी नेता काफी हाऊस में बैठकर समाजवादी पार्टी की सरकार बना लेते ही नहीं प्रधानमंत्री एवंं पूर मंत्री मंडल बना लेते ही नहीं थे? बल्कि मंत्रियों के विभाग भी बाट लिया करते थे? इन राजनेताओं के अनुसार ही कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी उन्हीं समाजवादियों के अनुसार कमलनाथ भी अति आत्मविश्वास का खेल खेल रहे हैं?;? जबकि लोकतंत्र की प्रतिक्रिया पूरी होने में अभी 3 दिसम्बर अभीआना बाकी है? इन राजनेताओं का कहना है कमलनाथ के इस अति आत्मविश्वास के योजना में उनका साथ दिग्विजय सिंह शामिल नहीं है यह भी तमाम सबाल खडे कर रहे हैं? इस योजना में कमलनाथ ने उस नेता पर भरोसा कर अपनी योजना में शामिल किया जिसकी राजनीति केबल और केबल गांधी परिवार के भरोसे चलती आज लोकतंत्र की परिक्रमा से किसी पंच या नगर पालिका परिषद के पार्षद का चुनावी समर में उतर कर विजय हासिल करके या जब भी पार्टी ने अवसर दिया तो अपने पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ विपक्षी दल के नेताओं सांठगांठ कर पैसा लेकर टिकट बेचने का काम करके विपक्षी दल की सरकार मध्यप्रदेश राज्य में सत्ता पर बैठा देने काम करने में कोई मौका छोडना? कमलनाथ को एसे नेता से गल वहियां करने का एहसास शायद तब हो जब उस नेता के साथ मिलकर कांग्रेस को इसी मध्यप्रदेश जब माहौल होते हुए सन 2008 में सत्ता गवाने के बाद हुआ था? लेकिन विपक्षी दल से मिलकर टिकट बेचने की शिकायत उस समय भी पार्टी के नेताओं ने उस समय श्रीमती सोनिया गांधी से की थी मगर वह उक्त नेता के खिलाफ कुछ भी नहीं कर पाई थी? इसका ही परिणाम है कि बिना जमीनी अधार बाला नेता कांग्रेस को समय आने पर गज्जा देने के लिए बिना अधार के बदौलत जमे हुए है?

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