भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रभात झा के देवलोकगमन पर ग्वालियर नगर के कैंसर अस्पताल परिसर स्थित स्व. शीतला सहाय सभागार में शनिवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद , विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, वरिष्ठ नेता कप्तानसिंह सोलंकी, वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया, प्रदेश शासन के मंत्री प्रहलाद पटेल सहित वरिष्ठ नेताओं, प्रदेश सरकार के मंत्रियों व पार्टी पदाधिकारियों ने स्व. प्रभात झा का स्मरण करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के शोक संदेश का वाचन सांसद भारतसिंह कुशवाह ने किया। श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि प्रभात झा के जाने से सिर्फ एक परिवार प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि ऐसे अनेक परिवार हैं, जो प्रभात झा के न रहने से प्रभावित हुए हैं। हम सभी उन्हें याद करते हैं और उनकी आत्मिक शांति की कामना करते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय प्रभात झा का हम सभी से बहुत निकट का संपर्क एवं मित्रवत संबंध रहा है। वह पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते थे और उनकी लेखनी में एक अलग प्रकार की ताकत थी, उनकी लेखनी हृदय को प्रभावित करती थी। वह अध्ययन करते थे और तर्कों के साथ लिखते थे, जो सभी को प्रभावित करता था। 1985 में संघ के 60 वर्ष पूर्ण हुए थे, तब ’स्वदेश’ में ‘संघ इनकी दृष्टि से‘ एक कॉलम छपता था, जिसमें महापुरुषों, संतों एवं संघ से संबंधित सामग्री होती थी। जिसका शब्दांकन प्रभात झा करते थे। उन्होंने सामाजिक जीवन में अनेक युवाओं को अपने साथ जोड़कर एकजुट किया। उस समय भी जबकि तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, तब भी अपने संपर्कों को सहेजने एवं समय पर उपयोग करने की कला उनमें थी। वह केवल राजनीति के लिए नहीं, बल्कि ध्येय के लिए काम करते थे और देश के लिए समर्पित रहे। ऐसे प्रभात झा को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्व. प्रभात झा का स्मरण करते हुए कहा कि उनसे मेरा संबंध विद्यार्थी जीवन से रहा है और ऐसा लगता नहीं है कि प्रभात झा अब हमारे बीच नहीं हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो एक अभिभावक की तरह मेरी चिंता करते थे और पूछते थे कि कोई परेशानी तो नहीं है, अगर मेरे लायक कोई काम हो तो बताना। अनेकों भूमिकाओं में स्व. प्रभात झा को काम करते हुए देखा। चाहे वो मंडल अध्यक्षों से मिलने का अभियान हो, जन्मदिन पर पत्र लिखने का अभियान हो या फिर पार्टी के कार्यक्रमों का तुरंत समाचार बनाकर देना हो, हर काम प्रभात जी ने पूरे समर्पण से किया। दुनिया में आने के बाद यहां से जाने का क्रम बाबा महाकाल ही तय करते हैं, लेकिन संगठन के विचार से जुड़कर काम करना और हर कार्यकर्ता की चिंता करना, उसके लिए अपना सर्वस्व देना हम सभी के लिए स्मरणीय रहेगा। हम सभी उनके जीवन से पाथेय ग्रहण करेंगे। बाबा महाकाल से कामना करता हूं कि प्रभात झा को मोक्ष प्रदान करें।
स्व. प्रभात झा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि आज भी ये विश्वास नहीं होता है कि प्रभात झा हमारे बीच नहीं हैं। ग्वालियर में विद्यार्थी परिषद के काम से और ’स्वदेश’ में समाचारों को लेकर मेरा उनसे मिलना होता था। एक व्यक्ति को, एक कार्यकर्ता को किसी तरह से तैयार किया जाता है, निखारा जाता है, यह प्रभात झा जी से सीखा जा सकता है। प्रभात झा जी का पूरा जीवन सादगी से भरा रहा और उनका जीवन हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श था। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में स्व. प्रभात झा के कार्यकाल को पार्टी कार्यकर्ता आज भी याद करते हैं। उन्होंने यह प्रमाणित किया कि साधन, संसाधन व्यक्तित्व के सामने बहुत छोटी चीज होते हैं। एक पत्रकार के रूप में उन्होंने देशभर में ख्याति अर्जित की। वो एक कुशल वक्ता थे और जब राज्यसभा में बोलते थे, तो कम्युनिस्ट सांसद तक उनकी बात को बड़े ध्यान से सुनते थे। हमारा प्रयास होगा कि प्रभात जी के विचारों को हम जमीन पर उतारें। प्रदेश के लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से मैं स्व. प्रभात जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
श्रद्धांजलि सभा में स्व. प्रभात झा का स्मरण करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने कहा कि इस दुनिया से जाना नियति है, लेकिन समय से पूर्व जाना वेदना का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि सामान्यतः हर व्यक्ति अपनी कंफर्ट जोन में रहकर काम करना पसंद करता है, लेकिन प्रभात झा जी अनकंफरटेबल भी नहीं, बल्कि डेंजर जोन में काम करना पसंद करते थे। भारतीय जनता पार्टी में उनसे मेरा परिचय करीब 30 वर्ष पहले हुआ था और वो हमेशा यही करते थे कि जो काम कोई नहीं कर पा रहा हो, वो काम मुझे दे दो। जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, तब भी वो कहते थे मैं बिलकुल ठीक हूं, काम बताइये। लोकसभा चुनाव में भी अत्यंत कठिन माने जा रहे क्षेत्रों में उन्होंने समन्वय का काम किया। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा और वे पार्टी के काम के लिए भी ऐसा क्षेत्र चुनते थे, जहां संघर्ष हो। ऐसे प्रभात जी अब हमारे बीच नहीं हैं, मैं उनके श्रीचरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने श्रद्वांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी जल्दी प्रभात झा को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए एकत्रित होना पड़ेगा। लेकिन यह विधि का विधान है, प्रभु के आगे किसी की भी नहीं चलती। स्वर्गीय प्रभात झा संकल्प के धनी थे। वह अभाव में भी सफलतापूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन करते थे। युवा मोर्चा के अध्यक्ष के दौरान उन्होंने मुझे साईकिल से अनेक स्थनों पर लेजाकर कार्यकर्ताओं को जोड़ने का कार्य किया। उन्होंने स्वदेश अखबार से पत्रकारिता प्रारंभ की। पत्रकारिता के दौरान वह रात को एक-दो बजे से पहले कभी नहीं सोते थे, क्योकि वह कहते थे अगर शहर में कोई घटना घट जाए, तो वह किसी अखबार में न छपे लेकिन स्वदेश अखबार में जरूर छपना चाहिए। ऐसे अनेक उदाहरण प्रभात झा के समय के हैं। हम सबको समाचार-पत्र में प्रभात झा ने आज क्या लिखा है, उसकी उत्सुकता रहती थी। मीडिया से जुड़े होने के कारण वह पार्टी के मीडिया प्रभारी बने। जब मैं विधायक था तो कभी-कभी उनका फोन आता था, कई विषय दे देते थे कि यह विषय इन पर काम करेंगे तो अपनी भूमिका ठीक होगी। उन्होंने कहा कि एक बड़ी लंबी यात्रा ग्वालियर के एक मोहल्ले से लेकर भोपाल और दिल्ली तक उनके साथ रहा। आज वह हम सबके मध्य नहीं है उनका अनुकरणीय जीवन, उनकी निष्ठा, विचार के प्रति उनका समर्पण और उनका संगठन कौशल हम सब लोगों के सामने हैं। मैं परब्रह्म परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान प्रदान करें और हम सभी परिजनों को यह महान दुख बर्दाश्त करने की शक्ति प्रदान करें। ओम शांति ओम।
भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि मेरा और स्वर्गीय प्रभात जी का एक गुरु और शिष्य का सम्बन्ध था जिसे उन्होंने जीवन भर निभाया। प्रभात जी के जीवन में अनेक सधर्षों के जूझकर जमीन से लेकर शिखर पर पहुचे। वह जुझारू, कर्मठ, कुशल संगठनकर्ता और राजनेता थे। पार्टी के विभिन्न पदों में रहते हुए उन्होंने अपनी योग्यता का लोहा मनवाया। उन्होंने अपने कर्म के माध्यम से अपनी योग्यता सिद्ध की। वह एक सफल इंसान थे, जिस क्षेत्र में गए उन्होंने अपनी सफलता अर्जित की और इसलिए मैं जब उनके जीवन पर नजर डालता हूं और विचार करता हूं तो उनके अंदर वह सभी गुण थे, जो एक सफल और श्रेष्ठ व्यक्ति में होने चाहिए। वे अपने कार्य के प्रति हमेशा समर्पित थे। भाजपा के अंदर राष्ट्र प्रथम और पार्टी दूसरे स्थान पर है। हम सब चाहते हैं कि अवसर मिले तो विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री बनें। सफल होने के लिए व्यक्ति के जीवन में समर्पण बहुत जरूरी होता है, प्रभात झा के जीवन में समर्पण कूट-कूट कर भरा हुआ था। वे कभी अभाव में भी रहे, ऐसा उन्होंने कभी अपने व्यवहार व जीवन में झलकने नहीं दिया। वे स्वदेश में पत्रकार थे, पत्रकार रहने के दौरान कई बार समाचार एकत्रित करने के लिए घूमते रहते थे। वे जब जिस भी दायित्व में रहे, उस कार्य के लिए परिश्रम की पराराष्ठा करते थे। सार्वजनिक जीवन में उन्होंने इतने कार्य किया हैं कि वे हमेशा याद किए जाएंगे। वे आज भले हम लोगों के बीच नहीं हैं, लेकिन उनके कार्य, उनके विचार हमेशा हम लोगों के साथ रहेंगे। प्रभात जी को प्रभात बनाने में सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है। संघ ऐसी पाठशाला है जिसके अंदर मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के सह प्रभारी जयभान सिंह पवैया ने कहा कि स्व. प्रभात झा बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। उनके व्यक्तित्व को एक पहचान में नहीं बाधा जा सकता है। वे जिससे मिलते थे, उसे अपना बना लेते थे। उसका कारण यह था कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संस्पर्श मिला। मेरा तो उनसे 47 वर्ष पुराना संबंध है। वे पद पर रहें, या न रहें, उनकी सक्रियता हमेशा बनी रही। बहुत कम लोगों को मालूम हैं कि प्रभात झा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में एक वर्ष के लिए महानगर कार्यालय मंत्री थे, जब मैं ग्वालियर महानगर अध्यक्ष था। मेरे उनसे कई रिश्ते थे। पहले वे मुझे बड़ा भाई मानते थे, भाई साहब कहते थे। फिर अयोध्या में रहने वाले मेरे गुरू से गुरू दीक्षा ले ली तो गुरूभाई भी हो गए। मैं और प्रभात जी 9 वर्ष तक एक ही ट्रेन से साथ में अयोध्या गए हैं। वे एक विचारधारा को लेकर जीने वाले व्यक्ति थे।
प्रदेश शासन के मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि मैं जब युवा मोर्चा में कार्य कर रहा था, तब ग्वालियर में स्व. प्रभात झा के संपर्क में आया। इसके बाद से लगातार उनका स्नेह और मार्गदर्शन हमें मिलता रहा। भाजपा के हजारों हजार कार्यकर्ताओं को उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उनके मार्गदर्शन करने की जो ताकत थी उसका अनुभव भाजपा का हर कार्यकर्ता करता है, मैं भी उन कार्यकर्ताओं में से एक हूं। स्वर्गीय प्रभात झा के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें श्रेष्ठ स्थान अपने चरणों में दें।
श्रद्धांजलि सभा को प्रदेश शासन के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भाजपा विधायक मोहन सिंह राठौर, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जयप्रकाश राजौरिया, स्वदेश समाचार पत्र के समूह संपादक अतुल तारे, मध्यप्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर, कांग्रेस नेता सुनील शर्मा ने भी संबोधित कर स्वर्गीय प्रभात झा के संस्मरण सुनायें। श्रद्धांजलि सभा का संचालन ग्वालियर नगर जिला अध्यक्ष अभय चौधरी ने किया। शोकाकुल परिवार की तरफ से स्वर्गीय प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा उपस्थित रहे।
इस दौरान अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर, मप्र शासन के मंत्री राकेश शुक्ला, पूर्व मंत्री माया सिंह, संभाग प्रभारी विजय दुबे, पार्टी के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर, प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष उषा अग्रवाल, जिला प्रभारी अरूण चतुर्वेदी, ग्रामीण जिलाध्यक्ष कौशल शर्मा, पूर्व मंत्री ओपीएस भदौरिया, वरिष्ठ नेता शैलेंद्र बरूआ, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य वेदप्रकाश शर्मा, कमल माखीजानी, सुमन शर्मा, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, रमेश अग्रवाल, कमलापत आर्य, घनश्याम पिरौनिया, विपिन दीक्षित, उदय अग्रवाल, सुरेंद्र शर्मा एवं कृष्णकांता तोमर सहित विभिन्न समाज संगठनों के पदाधिकारी एवं ग्वालियर के गणमान्य नागरिकों के साथ बडी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।