उज्जैन । धर्मनगरी उज्जैन में शिप्रा नदी का किनारा (रिवर फ्रंट) आकर्षक बनेगा। शुरुआत ‘श्री महाकाल महालोक” योजना अंतर्गत रामघाट के विकास एवं सुंदरीकरण कार्य से की जा रही है। दावा है कि 10 महीनों में राणोजी की छत्री सहित घाट पर बने 80 मंदिरों को पुरातन स्वरूप में निखारा जाएगा। इस कार्य पर 20 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च होंगे। इससे घाट का मनोरम दृश्य दिखेगा। जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा।
अगले चरण में महाकुंभ सिंहस्थ- 2028 से पहले घाटों का विस्तार करने की भी कवायद होगी। मालूम हो कि पिछले महीने उज्जैन में हुई प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिप्रा नदी के किनारे को विकसित करने की घोषणा की थी।
कहा था कि नर्मदा नदी का जल सदैव शिप्रा में आएगा। कल-कारखानों का दूषित जल डायवर्ट किया जाएगा। घोषणा को अमल में लाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने डीपीआर बनवाने की तैयारी शुरू की है। साथ ही स्मार्ट सिटी कंपनी द्धारा श्री महाकाल महालोक योजना के दूसरे चरण के कार्य अंतर्गत रामघाट पर कार्य शुरू कराया गया है। छोटे रुद्रसागर का तट भी उतना ही खूबसूरत बनेगा, जितना बड़े रुद्रसागर का तट है। शिप्रा नदी का किनारा पर्यटन का प्रमुख आकर्षण होगा।
आठ किमी लंबाई में शिप्रा नदी किनारे हैं 37 घाट
उज्जैन शहर की सीमा में शिप्रा नदी के किनारे 37 घाट हैं, जिनकी लंबाई आठ किलोमीटर है। महाकुंभ सिंहस्थ-2016 में देशभर के श्रद्धालुओं को शिप्रा नदी में सुरक्षित स्नान कराने को जल संसाधन विभाग ने पांच किलोमीटर लंबे नए घाट बनवाए थे। साथ ही 4.78 किलोमीटर लंबे पुराने घाटों की मरम्मत करवाई थी। सभी घाटों पर लाल पत्थर लगवाया था। इस कार्य पर 159 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। वक्त के साथ घाटों से पत्थर उखड़ते-टूटते चले गए।