मध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालय वाले सात जिलों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर एमआरआइ मशीनें लगाने की तैयारी है। इसके लिए जल्दी ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। इसका लाभ यह होगा कि मरीजों की एमआरआइ जांच बाजार दर से करीब 60 प्रतिशत कम में हो जाएगी। अगले वर्ष अप्रैल या मई से यह सुविधा मिलने लगेगी। अभी प्रदेश के कई मेडिकल कालेजों में पीपीपी माडल से एमआरआइ मशीनें लगाई गई हैं। मशीनें लगाने से लेकर संचालन तक की जिम्मेदारी निजी कंपनी की होगी। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कंपनी को जगह उपलब्ध कराई जाएगी।
निजी जांच केंद्रों में एमआरआइ कराने पर अभी कम से कम छह हजार रुपये लगते हैं। जिला अस्पतालों में मशीन लगने पर दो हजार रुपये में भी जांच संभव होगी। ज्यादातर निजी एमआरआइ केंद्रों द्वारा मरीज को जांच के लिए भेजने वाले डाक्टर को एक से दो हजार रुपये तक कमीशन देने की बात भी कही जाती है। इस वजह से भी निजी केंद्रों में एमआरआइ जांच महंगी है।