जन्माष्टमी के 15 दिन बार राधा अष्टमी पर्व मनाया जाता है।
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना की जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बार राधा अष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व राधा के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी। वहीं, 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, राधा अष्टमी 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।
राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी के दिन मध्यान्ह पूजा का शुभ समय सुबह 10 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, राधा अष्टमी पर्व के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन रवि योग भी बन रहा है। सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा, इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। वहीं, रवि योग दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, इन शुभ योगों में पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
राधा अष्टमी का क्या महत्व है?
बता दें कि जन्माष्टमी पर जिस तरह उपवास रखा जाता है, उसी तरह राधा अष्टमी पर भी व्रत रखने से लाभ प्राप्त होता है। इस पर्व को राधा जी के जन्म के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन राधा जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इससे जातक को धन-ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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