मप्र मंत्रिमंडल में नयी जमावट की ‘प्रक्रिया’ शुरू, नपेंगे सिंधिया के दो मंत्री!

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भोपाल, विधानसभा चुनाव के ग्यारह महीने पहले मप्र सरकार के मंत्रिमंडल में नयी जमावट की ‘प्रक्रिया’ शुरू हो गई है। संगठन महामंत्री बीएल संतोष के भोपाल प्रवास और बैठकों के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रियों को ‘नये बदलाव के लिये तैयार करने में जुट रहे हैं। आज शाम उन्होंने अपने निवास पर सभी मंत्रियों को बैठक व भोजन के लिये बुलाया है। सूत्रों का कहना है कि बैठक का मकसद सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन, ब्रांडिंग, विस सत्र, कांग्रेस की यात्रा के प्रभाव के आकलन के अलावा मंत्रियों को उनके परफार्मेंस पर आगाह करने का भी है।माना जा रहा है इस माह के अंत तक कैबिनेट में विस्तार- फेरबदल हो सकता है। सीएम व भाजपा संगठन कैबिनेट में खाली पदों को भरने के अलावा कमजोर कामकाज वाले मंत्रियों का कद कम करने या उनके स्थान पर दूसरा विकल्प खोजने के पक्ष में है। यह चुनाव के पहले सरकार का नया चेहरा पेश करने की भी कवायद है, ताकि किसी भी संभावित एंटी इंकम्बेंसी से निपटा जा सके।

जानकार सूत्रों का कहना है कि गुजरात चुनाव व दिल्ली ननि चुनाव निपटने के बाद अब हाइकमान की भी सीधा निगाह चुनाव वाले राज्यों पर है। प्रभारियों की बैठक भी कल दिल्ली में ली जा चुकी है। मप्र में हाइकमान गुजरात जैसा ही सघन चुनाव अभियान चलाना चाहता है, लेकिन इसके पहले सरकार व संगठन के कमजोर पहलू को दुरूस्त किया जाएगा। बताया जाता है कि कुछ मंत्रियों को नयी भूमिका के लिये भी तैयार किया जा सकता है। जहां तक सिंधिया समर्थक मंत्रियों का मामला है तो इसकी संभावना कम है कि उन्हें हटाया जाए, हालांकि सिंधिया कोटे के दो मंत्रियों का प्रदर्शन काफी खराब माना गया है। लिहाजा विभाग परिवर्तन का विकल्प आजमाया जाएगा। एक सूत्र का कहना है कि यदि सिंधिया कोटा’ कम नहीं किया जाएगा। क्योंकि भाजपा हाइकमान सिंधिया का इस बार चुनाव में ‘पूरा उपयोग’ करना चाहता है।

दो बार के विधायक भी मंत्री पद के दावेदार

भाजपा के भीतर मंत्री पद के कई दावेदार हैं। यह सभी वे विधायक हैं तो तीन से लेकर छह बार तक चुनाव जीत चुके हैं। इन्हें लेकर पार्टी व सीएम भी पशोपेश मे हैं। अंदरखाने बताते हैं कि कांग्रेस सरकार को गिराकर जब भाजपा सत्ता में आई थी तब भी कैबिनेट गठन के मामले में हाइकमान की खासी निगाहें थीं, सबसे पहले जो चार मंत्री बने थे वे भी हाइकमान की ‘स्कैनिंग’व राजनीतिक तकाजों पर बने थे। इसलिये सभी दावेदारों को यदि एडजस्ट करना पड़ा तो बहुत से मौजूदा चेहरों को ड्राप करने की नौबत आ सकती है। इस स्थिति में जिनके तेवर और जोश युवाओं में लोकप्रिय है, कम से कम दो बार के विधायक है वे भी मंत्रिमंडल के लिए परफेक्ट बताये जा रहे है।

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