मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बालरंग समारोह के समापन कार्यक्रम को किया संबोधित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बालरंग समारोह के समापन कार्यक्रम को किया संबोधित
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भोपाल में प्रतिवर्ष होने वाला राष्ट्रीय बालरंग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के उद्देश्य को बेहतर तरीके से पूरा कर रहा है। भोपाल का राष्ट्रीय बालरंग राष्ट्रीय एकता का प्रतिबिंब बन गया है। इस तरह के कार्यक्रम बच्चों में एक-दूसरे के राज्य की संस्कृति को समझने की जिज्ञासा पैदा करते हैं और बच्चों में देश की संस्कृति के प्रति लगाव बढ़ता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार की शाम भोपाल के राष्ट्रीय इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बालरंग समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लोक नृत्य पर केन्द्रित प्रतियोगिता के विजेता राज्यों के बच्चों को ट्राफी भेंट की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर लगभग 5 हजार वर्ष पहले भगवान श्रीकृष्ण आए। उनकी चौसठ कलाओं के ज्ञान से बच्चों को भारतीय प्राचीन कला को जानने का अवसर मिलेगा। मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम उज्जैन में है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय बालरंग से यह परिसर मिनी भारत का रूप बन जाता है। यह आयोजन हमें अपने देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का मौका देता है। प्रत्येक राज्य की अपनी नृत्य शैली है, जो बालरंग के मंच पर सामने आयी है। लोक नृत्य आंचलिक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करते हैं। विभिन्न राज्यों के बच्चे जब एक स्थल पर एकत्र होते हैं तो वे एक-दूसरे के राज्य के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। इस तरह के भाव बच्चों में जिज्ञासा को बढ़ाने का काम करते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को भारत की विविधता के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्रेष्ठ आयोजन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को बधाई दी।

स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने देश के विभिन्न राज्यों से आए बच्चों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि शायद ही दुनिया में भारत जैसा देश हो, जिसमें इतने प्रकार की संस्कृतियां आपसी मेल के साथ देखने को मिलती हैं। उन्होंने कहा कि भारत में हर 50 से 75 किलोमीटर में संस्कृति का बदलाव देखने को मिलता है। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर देश के मुकुट के समान है। उन्होंने मध्यप्रदेश की मालवा, बुंदेलखंड, बघेली संस्कृति का भी उल्लेख किया। मंत्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बच्चों के प्रति विशेष लगाव देखने को मिलता है। मुख्यमंत्री अपनी व्यस्तता के बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों में निरंतर शामिल होते हैं।

राष्ट्रीय बालरंग के विजेता
भोपाल में हुए राष्ट्रीय बालरंग में प्रथम पुरस्कार झारखंड के छऊ लोकनृत्य को मिला। यह नृत्य झारखंड का राजकीय नृत्य है, जिसमें विशिष्ट मुखोटों का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। द्वितीय पुरस्कार हरियाणा के घूमर लोकनृत्य को मिला। इस नृत्य में सामाजिक जीवन, प्रेम, तीज-त्यौहार और लोक कथाओं की झलक देखने को मिलती है। तृतीय पुरस्कार असम के बिहू लोकनृत्य को मिला। यह नृत्य असम की जीवंत आत्मा है और वहां पर यह नृत्य बसंत ऋतु के आगमन पर प्रमुखता के साथ किया जाता है। सांत्वना पुरस्कार मध्यप्रदेश के अहीर नृत्य, हिमाचल प्रदेश के नाटी लोकनृत्य और तीसरा सांत्वना पुरस्कार चंडीगढ़ के भांगड़ा, लुड्डी और झूमर नृत्य को मिला।

राष्ट्रीय बालरंग समारोह में अनेक लोक नृत्यों और गीतों के माध्यम से भारत की संस्कृति के अनेक रंग, मंच पर दिखे और शानदार कला की अभिव्यक्त हुई। कुल 14 राज्य आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश एवं 5 केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, चण्डीगढ़ एवं लक्षदीप के 400 से अधिक शालेय विद्यार्थियों ने अपने राज्यों के नृत्य की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक अमिताभ पांडे, अध्यक्ष नगर निगम भोपाल किशन सूर्यवंशी, आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता और बड़ी संख्या में कलाप्रेमी एवं स्कूली बच्चे उपस्थित थे।

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