कॉमिक अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया जॉनी वाकर ने

Johnny Walker mesmerized the audience with his comic act

 

पुण्यतिथि 29 जुलाई के अवसर पर

मुंबई, 28 जुलाई| बॉलीवुड में अपने लाजवाब कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों में गुदगुदी पैदा करने वाले जॉनी वॉकर को बतौर अभिनेता अपने सपनों को साकार करने के लिये बस कंडक्टर की नौकरी भी करनी पड़ी थी। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर मे एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार मे जन्में बदरूदीन जमालुदीन काजी उर्फ जॉनी वाकर बचपन के दिनों से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। वर्ष 1942 में उनका पूरा परिवार मुंबई आ गया। मुंबई में उनके पिता के एक जानने वाले पुलिस इंस्पेकटर थे जिनकी सिफारिश पर जॉनी वाकर को बस कंडकटर की नौकरी मिल गयी। इस नौकरी को पाकर जॉनी वाकर काफी खुश हो गये क्योंकि उन्हे मुफ्त में ही पूरी मुंबई घूमने का मौका मिल जाया करता था। इसके साथ ही उन्हें मुंबई के स्टूडियो में भी जाने का मौका मिल जाया करता था।

जॉनी वाकर का बस कंडक्टरी करने का अंदाज काफी निराला था। वह अपने विशेष अंदाज मे आवाज लगाते माहिम वाले पैसेन्जर उतरने को रेडी हो जाओ लेडिज लोग पहले। इसी दौरान जॉनी वाकर की मुलाकात फिल्म जगत के मशहूर खलनायक एन.ए.अंसारी और के आसिफ के सचिव रफीक से हुयी। लगभग सात आठ महीने के संघर्ष के बाद जॉनी वाकर को फिल्म अखिरी पैमाने में एक छोटा सा रोल मिला। इस फिल्म में उन्हें पारिश्रमिक के तौर पर 80 रुपये मिले जबकि बतौर बस कंडक्टर उन्हें पूरे महीने के मात्र 26 रुपये ही मिला करते थे। एक दिन उस बस में अभिनेता बलराज साहनी भी सफर कर रहे थे।वह जॉनी वाकर के हास्य व्यंग के अंदाज से काफी प्रभावित हुये और उन्होंने जॉनी वाकर को गुरुदत्त से मिलने की सलाह दी। गुरुदत्त उन दिनों बाजी नामक एक फिल्म बना रहे थे। गुरुदत्त ने जॉनी वाकर की प्रतिभा से खुश होकर अपनी फिल्म बाजी में काम करने का अवसर दिया।

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