संवेदना मानव की मौलिक प्रकृति- राज्यपाल मंगुभाई पटेल

Compassion is the fundamental nature of human - Governor Mangubhai Patel

 

भोपाल, 28 जुलाई| राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि कमजोर के प्रति संवेदना और सहयोग मानव की मौलिक प्रकृति है। वसुधैव कुटुम्बकम् विश्व को एक परिवार मानना और सबको साथ लेकर चलना भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। शोषण और अत्याचार मानवीय विकृतियां है, जिन पर नियंत्रण की प्रेरणा और प्रोत्साहन देना, सभ्य समाज का दायित्व है। उन्होंने कहा कि विमुक्त जनजातियों की महिलाओं की छोटी-छोटी चुनौतियों को समझकर समाधान के निर्णायक प्रयासों के लिए समाज को आगे आना होगा। वंचित वर्ग के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव के लिए भी कार्य किया जाना चाहिए।Compassion is the fundamental nature of human - Governor Mangubhai Patel

राज्यपाल मंगुभाई पटेल आज आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा रेस लैब के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का विषय “विमुक्त जनजाति महिलाओं की चुनौतियाँ” था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि परिवार की जिम्मेदारियों का केन्द्र महिलाएं होती है। महिलाओं की पारिवारिक, सामाजिक जिम्मेदारियों को समझ कर, उनके समाधान के प्रयास जरुरी हैं। उन्होंने जनजाति कल्याण कार्य के सभी हितधारकों से कहा कि समुदाय के बीच जाएं, चुनौतियों को समझें और अपने ज्ञान और प्रतिभा से समाधान के प्रयास करें। छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव के प्रेरक बनेंगे। उन्होंने जेल के बंदियों से हुई चर्चा के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि वंचित समाज के सदस्य जो राहत, बचाव के प्रावधानों से अनजान, असमर्थ है, अत्यंत मामूली अपराधों में उन्हें निरुद्ध करने की दृष्टि और दृष्टिकोण पर चिंतन किया जाना चाहिए। उन्होंने एक विद्यार्थी द्वारा फीस के अभाव में आत्महत्या की घटना का उल्लेख किया और पूछा कि क्या सभ्य समाज में ऐसी घटना होनी चाहिए।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने शिक्षित समुदाय से आहवान किया कि वह वंचितो की जरूरतों को पूरा करने में सहयोग के लिए आगे आए। समाज के दृष्टिकोण परिवर्तन में सहयोगी हो। स्वयंसेवी सस्थाओं से कहा कि योजनाओं के लाभ समुदाय के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचायें। क्रियान्वयन की दृष्टि और दिशा में संवेदनशीलता, सहृदयता का होना जरुरी है। इसके लिए समुदाय के साथ जीवंत संवाद और सम्पर्क बनाएं। शिक्षा, प्रगति की मौलिक आवश्यकता है। शिक्षा के प्रसार के साथ ही ड्राप-आऊट की चुनौतियों के समाधान के कारगर प्रयास करें। सभी व्यक्तियों को सम्मानपूर्ण जीवन समाज में मिले, संगोष्ठी इस दिशा में चिंतन करे। आवश्यक चुनौतियों और समाधान के सुझावों को संकलित करना, संगोष्ठी की सफलता होगी।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि विमुक्त जनजाति समुदाय विशेष कर महिलाएं उनके प्रति पक्षपाती सामाजिक सोच, जन-कल्याणकारी कार्यक्रमों की पहुँच में अंतराल, स्थाई निवास आदि की चुनौतियों का सामना कर रही है। भोपाल की कार्यशाला पहली है, जिससे सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव और विकास के लिए आयोग ने वैचारिक स्तर पर शोध और अनुसंधान की पहल की है। उन्होंने कहा कि समुदाय के विकास के लिए भावी पीढ़ी को शिक्षा और कौशल के साथ बड़ा करने के प्रयास जरुरी हैं।

राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव टंडन ने कहा कि विमुक्त जनजाति की महिलाओं की प्रमुख चुनौती समाज और विकास एजेंसियों का दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए प्रेरक का आग्रह और हितग्राही की ग्राह्यता महत्वपूर्ण कारक होते हैं। दोनों के रवैये में परिवर्तन के प्रयास आवश्यक हैं।

अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने कहा कि समुदाय की महिलाओं की चुनौतियों का समाधान, सशक्तिकरण और आर्थिक स्वावलंबन है। कौशल विकास के साथ रोजगार और स्व-रोजगार उपलब्ध कराने के कार्य किए गए हैं। स्व-रोजगार के लिए 25 प्रतिशत अनुदान पर बैंकों से ऋण और 6 से 8 प्रतिशत के ब्याज राहत के साथ पूँजी की उपलब्धता कराई जा रही है।

स्वागत उद्बोधन रेस लैब के निदेशक डॉ. वीरेन्द्र मिश्रा ने दिया। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी की चर्चा का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। कार्यक्रम की संयोजिका सुश्री मालविका ने आभार माना।

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