यकायक मध्यप्रदेश की राजनीति में सोमवार को राजनीतिक बादलों ने रुख बदल लिया है, कांग्रेस की तैयारी को चारों खाने चित करने भाजपा ने मध्यप्रदेश के अपने सभी राजनीतिक पॉवर हाउस एक साथ चुनावी मैदान में उतार दिया है।
7 सांसद, 3 केंद्रीय मंत्री समेत एक महासचिव को मैदान में कांग्रेस से मुकाबला करने भेजा है।
भाजपा की दूसरी लिस्ट में चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को टिकिट दिया गया तो वही अमित शाह के सबसे नज़दीकी माने जाने वाले भाजपा महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर से उतार दिया है। भाजपा से बड़े नामों के मैदान में आने बाद राजनीति विशेषज्ञों का सवाल है कांग्रेस की शिवराज सरकार की रीति नीति पर आक्रमण रणनीति से क्या भाजपा को जमीनी स्तर पर भारी नुकसान हो रहा है? 2018 के परिणाम और उसके बाद लगातार मुख्यमंत्री शिवराज का जनता के बीच गिरा लोकप्रियता ग्राफ भाजपा के अज्ञात रणनीतिकारों से छुप नहीं पाया? विशेषज्ञ कहते है भाजपा के जमीनी नेताओं का कांग्रेस से सीधा सम्पर्क कमजोर करने और मध्यप्रदेश में आक्रमकता बढ़ाने, जनता का विश्वास पुनः मुख्यमंत्री शिवराज से हटा कर भाजपा की नीति रीति से जोड़ने ये आपातकाल लागू किया गया।
सूत्रों का कहना है अपने और अन्य गैर माध्यम से हुए सर्वे से भाजपा भयभीत है राहुल गांधी का स्टेटमेंट “छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश” में हम सरकार बना रहे है। कमलनाथ का कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद स्वीकर न कर कहना में मध्यप्रदेश नही छोडूंगा। कांग्रेस के मजबूत इरादे बताते ये दांव भाजपा में भय को बढ़ने वाले साबित हुए और रणनीतिकारों को भाजपा मध्यप्रदेश में आपातकाल लगा चुनावी प्रबंधन अज्ञात हाथों में लेना पड़ा।