भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव में व्यय की सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये की गई है। उम्मीदवारों को परिणाम आने के 30 दिनों के भीतर व्यय की जानकारी आयोग को देनी होती है। मप्र के विधानसभा चुनाव में अभी तक व्यय की जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार बुदनी से भाजपा प्रत्याशी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छिंदवाड़ा से कांग्रेस के उम्मीदवार कमल नाथ ने निर्धारित सीमा की आधा राशि भी व्यय नहीं की है। कमल नाथ ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को दिए विवरण में 14 नवंबर तक 16 लाख 47 हजार 534 रुपये और शिवराज सिंह चौहान ने 11 लाख 66 हजार 315 रुपये का व्यय बताया है। दोनों का अधिकतर खर्च वाहन किराया, सभा और विज्ञापन पर हुआ है।
केंद्रीय मंत्रियों खर्चे में रहे आगे
मुरैना जिले की दिमनी सीट से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 14 नवंबर तक 11 लाख 36 हजार 480, मंडला जिले की निवास सीट से भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने 18 लाख 30 हजार 587 और नरसिंहपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने 13 नवंबर तक 17 लाख 57 हजार 852 रुपये खर्च होने की जानकारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को दी है। कार्यालय ने अपने पोर्टल पर इसे सार्वजनिक किया है। हालांकि, यह आंकड़े अंतिम नहीं हैं। प्रत्याशियों के अंतिम विवरण में इसमें कुछ बदलाव भी हो सकता है। उम्मीदवारों ने यह राशि टेंट सामग्री, चाय, फोटो काफी, प्रचार सामग्री और सबसे ज्यादा वाहनों पर खर्च की है।
पहले प्रत्याशी घोषित कर फायदे में रही
भाजपा निर्वाचन आयोग चुनाव में प्रत्याशी द्वारा किए गए व्यय का लेखा-जोखा उसके नामांकन जमा करने के दिन से शुरू करता है। 21 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन जमा करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। उधर, भाजपा ने चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले ही 79 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। इन सभी सीटों पर भाजपा वर्ष 2018 के चुनाव में हार गई थी। घोषणा होने के साथ ही प्रत्याशियों ने प्रचार भी शुरू कर दिया था, पर उन्हें इस व्यय का हिसाब नहीं देना पड़ा। कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा 15 अक्टूबर और इसके बाद की थी, जिससे बिना व्यय का हिसाब दिए एक सप्ताह भी प्रचार का अवसर नहीं मिल पाया।
अब एक-एक पैसे का हिसाब जोड़ने में लगे प्रत्याशी
चुनाव की थकान खत्म होने के बाद अब प्रत्याशी और उनके कार्यकर्ता व्यय का एक-एक पैसे का हिसाब जोड़ने में लगे हैं, जिससे कोई चूक न होने पाए। वजह, विरोधी दलों की भी उनके व्यय पर नजर है। प्रत्याशी और पार्टी इस कोशिश में लगे हैं कि अधिक से अधिक व्यय पार्टी के खाते में दिखाया जाए, क्योंकि यह प्रत्याशी के खर्च में नहीं जुड़ता। स्टार प्रचारकों की सभाओं का व्यय भी पार्टी उठाती है।