पेरिस ओलंपिक 2024 का भव्य समारोह के साथ समापन हो गया है। भारत 6 पदकों के साथ, पदक तालिका में 71वें स्थान पर रहा। भारतीय खिलाड़ियों ने एक रजत और पांच कांस्य पदक सहित कुल 6 पदक हासिल किये। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारत पदक तालिका में 48वें स्थान पर था। और उसे एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल 7 पदक मिले थे।
इससे पहले रविवार को नीदरलैंड्स की सिफान हसन ने महिलाओं की मैराथन में स्वर्ण पदक जीता। इस 31 वर्षीया धावक ने ओलंपिक रिकॉर्ड को दो घंटे 22 मिनट 55 सेकंड में पार कर लिया और रजत पदक जीतने वाले इथियोपियाई टाइगस्ट अस्सेफ़ा से तीन सेकंड आगे रहीं। केन्या की हेलेन ओबिरी तीसरे स्थान पर रहीं। वहीं इथियोपिया के तमीरात तोला ने पुरुषों की मैराथन में स्वर्ण पदक जीता।
अमरीका 40 स्वर्ण सहित कुल 126 पदकों के साथ शीर्ष पर रहा। चीन भी 40 स्वर्ण पदकों के साथ 91 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर रहा। जापान 20 स्वर्ण सहित 45 पदक के साथ तीसरे और ऑस्ट्रेलिया 18 स्वर्ण सहित कुल 53 पदक के साथ चौथे स्थान पर रहा। अब 2028 में ओलंपिक खेलों का आयोजन अमरीका के लॉस एंजिल्स होगा। 1932 और 1984 के बाद तीसरी बार लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों की मेजबानी करेगा। इन उपलब्धियों के बावजूद, भारत को पेरिस 2024 में बड़ी निराशाओं का सामना करना पड़ा। देश छह संभावित पदकों से चूक गया, जिसमें लक्ष्य सेन, मीराबाई चानू और मनु भाकर सहित एथलीट अपने इवेंट में चौथे स्थान पर रहे, जो तीसरा पदक हासिल करने के करीब थे।
साथ ही, पीवी सिंधु लगातार तीन ओलंपिक में पदक की हैट्रिक बनाने में नाकाम रहीं। अनुभवी तीरंदाज और कई बार की ओलंपियन दीपिका कुमारी अपार अनुभव और गैर-ओलंपिक आयोजनों में सफलता के बावजूद पदक के साथ घर लौटने में नाकाम रहीं। मुक्केबाज निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन, देश को बहुप्रतीक्षित पदक नहीं दिला सकीं। महिलाओं के 50 किग्रा के ऐतिहासिक फाइनल से ठीक पहले विनेश फोगाट की अयोग्यता ने भी पूरे देश की स्वर्ण पदक की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।