राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कल शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में देश भर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों को ऐसे नागरिक तैयार करने होंगे जो न केवल शिक्षित हों बल्कि संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमशील भी हों। उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ना सफलता है, लेकिन जीवन की सार्थकता दूसरों के कल्याण के लिए काम करने में है। हमें दया भाव रखना चाहिए। हमारा आचरण नैतिक होना चाहिए। सार्थक जीवन में ही सफल जीवन निहित है। विद्यार्थियों को ये मूल्य सिखाना शिक्षकों का कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी शिक्षा प्रणाली की सफलता में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पढ़ाना सिर्फ एक नौकरी नहीं है। यह मानव विकास का एक पवित्र मिशन है। अगर कोई बच्चा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है तो शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की बड़ी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने बताया कि अक्सर शिक्षक उन्हीं विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देते हैं जो परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हालाँकि उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन उत्कृष्टता का केवल एक आयाम भर है। एक बच्चा बहुत अच्छा खिलाड़ी हो सकता है, कुछ बच्चों में नेतृत्व कौशल हो सकता है, दूसरा बच्चा उत्साहपूर्वक सामाजिक कल्याण गतिविधियों में भाग लेता है। शिक्षक को प्रत्येक बच्चे की नैसर्गिक प्रतिभा को पहचान कर उसे सामने लाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी समाज में महिलाओं की स्थिति उसके विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को इस तरह से शिक्षित करें कि वे हमेशा महिलाओं की गरिमा के अनुरूप व्यवहार करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं का सम्मान केवल ‘शब्दों’ में नहीं बल्कि ‘व्यवहार’ में भी होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार, यदि कोई शिक्षक स्वयं निरंतर ज्ञान अर्जित नहीं करता है तो वह सही अर्थों में पढ़ा नहीं सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी शिक्षक ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उनका शिक्षण अधिक प्रासंगिक एवं रोचक बना रहेगा।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा कि उनके छात्रों की पीढ़ी एक विकसित भारत का निर्माण करेगी। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को वैश्विक मानसिकता और विश्व स्तरीय कौशल रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महान शिक्षक एक महान राष्ट्र का निर्माण करते हैं। विकसित मानसिकता वाले शिक्षक ही ऐसे नागरिक तैयार कर सकते हैं जो विकसित राष्ट्र का निर्माण करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि हमारे शिक्षक छात्रों को प्रेरित करके भारत को दुनिया का ज्ञान केंद्र बनाएंगे।
हर साल, भारत 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का जश्न मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है। प्रत्येक पुरस्कार में योग्यता प्रमाण पत्र, 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस वर्ष के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए 50 शिक्षकों का चयन किया है। उनका चयन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा कठोर पारदर्शी और ऑनलाइन तीन चरणों यानी जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। चयनित 50 शिक्षक 28 राज्यों, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और 6 संगठनों से हैं। चयनित 50 शिक्षकों में से 34 पुरुष, 16 महिलाएं, 2 दिव्यांग और 1 सीडब्ल्यूएसएन के साथ कार्यरत हैं। इसके अलावा, उच्च शिक्षा विभाग के 16 शिक्षकों और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के 16 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की मान्यता है कि छात्रों, संस्थान और पेशे की उन्नति के लिए प्रेरित, ऊर्जावान और सक्षम फैकल्टी महत्वपूर्ण है। इसमें शिक्षा ईकोसिस्टम में उत्कृष्टता की संस्कृति विकसित करने के लिए पुरस्कार और मान्यता जैसे प्रोत्साहनों की भी परिकल्पना की गई है। ऐसे में, वर्ष 2023 में, एनएटी की छत्रछाया में एचईआई और पॉलिटेक्निक के लिए पुरस्कारों की दो श्रेणियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया, जो अब तक केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित थीं। चयनित 16 शिक्षक पॉलिटेक्निक, राज्य विश्वविद्यालयों और केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों से हैं।