महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के 10 दिवसीय राष्ट्रव्यापी उत्सव का नेतृत्व किया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ पहल के बैनर तले दस दिनों का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।
देश भर में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने समुदायों और अन्य हितधारकों को लड़कियों के अधिकारों पर चर्चा करने, उनके सामने आने वाली चुनौतियों की समझ बढ़ाने और उनकी शिक्षा तथा सशक्तिकरण का समर्थन करने वाली पहलों को बढ़ावा देने में शामिल किया। इस दौरान वृक्षारोपण अभियान, स्कूल जाने वाली मेधावी लड़कियों का सम्मान, “बेटियों के साथ सेल्फी” अभियान, कन्या पूजन समारोह, स्वास्थ्य शिविर, सेमिनार और खेल कार्यक्रम आयोजित कर लड़कियों में सक्रिय भागीदारी और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने जोर देकर कहा, “हमारी लड़कियों को सशक्त बनाना केवल एक जिम्मेदारी नहीं है; उज्ज्वल भविष्य के लिए ऐसा हमारा दृष्टिकोण है। उनके अधिकारों और क्षमता को पहचान कर, हम एक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जहां हर लड़की फले-फूले।”
विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम की एक झलक नीचे दी गई तस्वीरों में देखी जा सकती है: –
गुजरात- इन कार्यक्रमों में बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार, उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए रैलियां और बालिकाओं के महत्व पर प्रकाश डालने वाली रंगोली प्रतियोगिताएं शामिल थीं।
बिहार- आंगनवाड़ी केंद्रों पर पौधारोपण अभियान और जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
मध्य प्रदेश – बेटियों के जन्म और उनके महत्व को जानने-समझने के लिए कन्या पूजन और बेटी जन्मोत्सव का आयोजन किया गया। इन पहलों का उद्देश्य लड़कियों को सम्मानित करना और समाज में उनके जीवन के मूल्य को बढ़ावा देना है।
छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ निदेशालय में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। लड़कियों के शरीर में खून की कमी (एनीमिया), स्वास्थ्य, स्वच्छता और लड़कियों को सहायता देने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके अलावा, बालिकाओं को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक एक सुंदर थीम वाला मां दुर्गा पंडाल बनाया गया।
गोवा – लड़कियों के सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने के लिए पोस्टर निर्माण और नारा लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इनके साथ ही गोद भराई और डांडिया पेंटिंग कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इन गतिविधियों ने सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा दिया और बेटियों के पालन-पोषण और उनका जश्न मनाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
असम – बाल विवाह की रोकथाम रणनीतियों पर एक अभियान चलाया गया। चर्चाओं में लड़कियों के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बालिका सप्ताह के उद्देश्यों पर भी चर्चा की गई।
लद्दाख – लद्दाख में महिला और बाल विकास का जश्न मनाने के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें महिलाओं को सशक्त बनाने और बाल कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने वाली पहलों पर जागरूकता बढ़ाना और सामुदायिक भागीदारी में तेजी लाना था।
मेघालय – मेघालय में, पिता और बेटियों के बीच अद्भुत रिश्तों का जश्न मनाते हुए “बेटी और पिता के बीच संबंध” की थीम पर केंद्रित एक अभिनव फोटो प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसके अलावा, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समुदाय को जागरूक करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सुरक्षा पर एक कार्यशाला आयोजित की गई।
मणिपुर – महिला-पुरुष समानता को बढ़ावा देने और सामुदायिक भागीदारी को प्रेरित करने के लिए मणिपुर में महिला सशक्तिकरण पर जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई।
ओडिशा – ओडिशा में, लड़कियों के महत्व को सम्मान देने के लिए कन्या पूजन के साथ एक जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके अलावा कई और कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिनमें मेधावी छात्रों का अभिनंदन, उनकी उपलब्धियों को पहचान दिलाना और दूसरों को प्रेरित करना शामिल है। इस उत्सव का उद्देश्य शिक्षा के मूल्य को बढ़ावा देना और समाज में युवा लड़कियों को सशक्त बनाना था।
उत्तराखंड – उत्तराखंड में, बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ पहल का जश्न मनाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। “कॉफी विद डीएम” नामक एक अभिनव कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लड़कियों ने जिला मजिस्ट्रेट के साथ सार्थक चर्चा की। इस पहल का उद्देश्य समाज में युवा लड़कियों को सशक्त और प्रेरित करना है।
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश में कन्या पूजन, खेलकूद कार्यक्रम, बेटी जन्मोत्सव और मेधावी छात्राओं का सम्मान सहित कई तरह की गतिविधियां आयोजित की गईं। जिला प्रशासन ने लड़कियों को एक दिन के लिए विभिन्न जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया, ताकि उनकी क्षमताओं और नेतृत्व का प्रदर्शन किया जा सके। इस पहल का उद्देश्य युवा लड़कियों को सशक्त बनाना और महत्वपूर्ण भूमिकाओं में उनकी क्षमता को उजागर करना था। कार्यक्रमों में समाज में लड़कियों के महत्व का जश्न मनाया गया और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया। कुल मिलाकर, इस उत्सव ने महिला-पुरुष समानता और लड़कियों की शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।