हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) और हस्तशिल्प विकास आयुक्त ने विश्व शिल्प परिषद (डब्ल्यूसीसी) के साथ मिलकर नई दिल्ली में विश्व शिल्प मंच 2024 का उद्घाटन संस्करण आयोजित किया। यह कार्यक्रम 22-24 नवंबर तक नई दिल्ली में और 25-27 नवंबर तक श्रीनगर में आयोजित होगा। यह आयोजन वर्ल्ड क्राफ्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल द्वारा संचालित वैश्विक हस्तशिल्प आंदोलन की 60वीं वर्षगांठ को समर्पित है।
विश्व शिल्प मंच के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कपड़ा मंत्रालय के राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने विश्व शिल्प परिषद के गठन में कमलादेवी चट्टोपाध्याय के योगदान को याद किया। इस अवसर पर बोलते हुए राज्य मंत्री ने जोर दिया कि हथकरघा और हस्तशिल्प को साधारण उत्पाद नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि वे धैर्य, कौशल, विरासत और मानव पहचान की कहानियां बताते हैं। मार्गेरिटा ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, केंद्र सरकार हथकरघा और हस्तशिल्प के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रही है। हमारे पास राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम, व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना जैसी पहल हैं। पबित्रा मार्गेरिटा ने हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र से अपनी आजीविका कमाने वाले 7 मिलियन से अधिक कारीगरों को सलाम किया। उन्होंने यह भी बताया कि 300 से अधिक हैंडलूम/हस्तशिल्प उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त हो चुका है, जो इस क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि है। कार्यक्रम में वर्ल्ड क्राफ्ट्स काउंसिल के छह दशकों के योगदान का जश्न मनाते हुए, “वैल्यू ऑफ क्राफ्ट्स रिपोर्ट” और “60 ईयर्स ऑफ डब्ल्यूसीसी” नामक एक स्मारक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर कपड़ा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव रोहित कंसल, हस्तशिल्प विकास आयुक्त अमृत राज, और कपड़ा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, रोहित कंसल, आईएएस ने कहा कि विश्व शिल्प मंच शिल्प को किस प्रकार देखा जाता है, इस संबंध में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा तथा यह कारीगरों के लिए नए अवसर पैदा करेगा और एक सुदृढ़ शिल्प पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।
भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय में हस्तशिल्प विकास आयुक्त अमृत राज ने अपने भाषण में कहा कि यह आयोजन वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देते हुए अपने विविध शिल्पों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह फोरम 20 से अधिक देशों के शिल्पकारों और पूरे भारत के कारीगरों का एक समागम होगा, जिन्हें हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) द्वारा पारंपरिक शिल्प का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए एक साथ लाया जाएगा। विश्व शिल्प फोरम 2024, सहयोग, नवाचार और स्थिरता पर अपने फोकस के साथ, वैश्विक हस्तशिल्प आंदोलन में एक ऐतिहासिक आयोजन होने का वादा करता है, जो दुनिया भर के कारीगरों के लिए अधिक समावेशी और जीवंत भविष्य की नींव रखता है।
ऐलीन ओसबोर्न वेंडरबिल्ट वेब, मार्गरेट एम. पैच और कमलादेवी चट्टोपाध्याय द्वारा स्थापित, भारत डब्ल्यूसीसी की वैश्विक पहलों का केंद्र रहा है। डब्ल्यूसीसी के भविष्य के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित यह फोरम संगठन के पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में हर दो साल में घूमेगा।