उज्जैन। वैसे तो माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है और वह उल्लू पर सवार होकर सबको आशीर्वाद देती हैं। उज्जैन में विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी गज पर सवार है। नई पेठ क्षेत्र स्थित इस मंदिर में दीपावली पर 5 हजार लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा और व्यापारी यहां से बही खाते लिखने की शुरुआत करेंगे|
एकमात्र उज्जैन में स्थित गजलक्ष्मी का मंदिर, जहां मां लक्ष्मी गज पर विराजमान है। दीपावली के पांचों दिन यह मंदिर चौबीस घंटे खुला रहेगा और दिन रात पूजा, अनुष्ठान जारी रहेगा। पुष्य नक्षत्र में धनतेरस पर सोने-चांदी के व्यापारी या जिनका कारोबार बहीखाते से जुड़ा हुआ है, वह मंदिर में मंत्र और यंत्र बनवाते हैं। मंत्र और यंत्र के माध्यम से व्यापारी मां लक्ष्मी ये यह प्रार्थना करते हैं कि खाता जल्दी पूरा हो आए और किसी तरह का कोई बकाया न रहे। धनतेरस पर ही श्रद्धालुओं को माताजी की बरकत वितरित की जाती है। सभी को पीले चावल, कोढ़ियां, एक सिक्का और हल्दी की गांठें आशीर्वाद स्वरूप प्रदान की जाती है।