‘ये बदलाव नासूर की तरह’-उपराष्ट्रपति धनखड़
आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर और समाजवाद शब्द हटाए जाने की मांग करने पर विवाद गहराता जा रहा है. विपक्षी दल इसे लेकर RSS और बीजेपी पर हमलावर हैं.
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ शब्द जोड़ने को लेकर जो बहस शुरू की अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उसको और आगे बढ़ा दिया है. उपराष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपातकाल के दौरान प्रास्तावना में जो शब्द जोड़े गए, वे नासूर हैं; सनातन की आत्मा के साथ किया गया एक पवित्र अपमान है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा “किसी भी संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है. भारतीय संविधान की प्रस्तावना अद्वितीय है. भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है, और क्यों? प्रस्तावना अपरिवर्तनीय है. प्रस्तावना आधार है जिस पर पूरा संविधान टिका है. यह उसकी बीज-रूप है. यह संविधान की आत्मा है. लेकिन भारत की इस प्रस्तावना को 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ दिए
गए.”