18 सितंबर गुरु पुष्य नक्षत्र का पंचांग, बन रहे शुभ योग
18 सितंबर 2025 को एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग बन रहा है, गुरु पुष्य योग। यह संयोग तब बनता है जब गुरुवार यानी बृहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है। पुष्य नक्षत्र को ‘राजा नक्षत्र’ माना जाता है और जब यह गुरुवार को हो तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
यह दिन नवीन आरंभ, धन-संपत्ति की खरीदारी, व्यापार, रत्न धारण, और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस बार यह संयोग और भी विशेष है क्योंकि यह ‘पितृ पक्ष’ के दौरान बन रहा है। ऐसे में इस दिन पूर्वजों की शांति और तर्पण के लिए किया गया कार्य कई गुना फल देता है।
‘गुरु पुष्य योग’ तब बनता है, जब ‘पुष्य नक्षत्र’ हो, और वही दिन ‘गुरुवार (गुरु वार)’ हो। पुष्य नक्षत्र को ‘नक्षत्रों का राजा’ कहा गया है, और यह ‘समृद्धि, व्यापार, खरीदारी, पूजा, दान और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ’ माना जाता है। गुरुवार बृहस्पति (गुरु) का दिन है, जो ‘धर्म, ज्ञान और शुभता’ का प्रतीक है। दोनों के मिलने से यह ‘अभूतपूर्व योग’ बनता है।
18 सितंबर 2025: गुरु पुष्य योग क्यों खास है?’
1. ‘पितृ पक्ष के दौरान बन रहा है संयोग’:
– पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और तर्पण के लिए श्राद्ध किए जाते हैं।
– गुरु पुष्य जैसे शुभ योग में किया गया दान, श्राद्ध, जप और तर्पण ‘अतुलनीय फल’ देता है।
– यह दिन ‘पूर्वजों को प्रसन्न करने’ और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है।
2. ‘खरीदारी और निवेश के लिए उत्तम दिन’:
– सोना, चांदी, वाहन, प्रॉपर्टी, इलेक्ट्रॉनिक सामान और व्यापारिक सौदों के लिए बहुत शुभ।
– निवेश या नया व्यापार शुरू करने का संयोग भी उत्तम रहेगा।
3. ‘सात्त्विक कर्मों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त’:
– जप, तप, ध्यान, मंत्र सिद्धि, रत्न धारण, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आदि के लिए उपयुक्त दिन।
– ग्रह दोषों और कुंडली के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने का विशेष अवसर।
पितृ पक्ष से क्या है संबंध?’:
– गुरु पुष्य योग में ‘श्राद्ध कर्म, तर्पण और ब्राह्मण भोज’ करने से पितरों को विशेष संतोष मिलता है।
– इस दिन तिल, जल, काले तिल और गाय के भोजन का दान विशेष रूप से फलदायी होता है।
– जिन लोगों की कुंडली में ‘पितृ दोष’ हो, वे इस दिन ‘पितृ शांति पूजा’ करवा सकते हैं।


















