सावन चतुर्थी व्रत का है खास महत्व, गणपति पूजन से मिलेगा विशेष फल

Sawan Chaturthi fast has special significance, Ganpati worship will give special results

 

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने का विधान है। सावन महीने की विनायक चतुर्थी शुक्रवार, 21 जुलाई को मनाई जाएगी। श्रावण मास की पहली विनायक चतुर्थी काफी खास मानी जाती है। आइये जानते हैं इसका महत्व और पूजन विधि…

विनायक चतुर्थी: तिथि
सावन माह की पहली विनायक चतुर्थी 21 जुलाई को है। इस दिन सावन और अधिक मास के साथ रवि योग भी बन रहा है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 21 जुलाई को सुबह 06:58 बजे होगा और इसका समापन 22 जुलाई को सुबह 09:26 बजे होगा। पूजा का मुहूर्त 21 जुलाई को सुबह 11: 05 बजे से दोपहर 01:50 बजे तक है। इसके अलावा अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12:27 बजे से दोपहर 02:10 बजे मिनट तक है। इस मुहूर्त में गणपति की पूजा से बहुत शुभ परिणाम मिलेंगे।

कैसे करें पूजन?
सावन चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणपति जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर गणपति का पंचोपचार विधि से पूजन करें। गणपति को सिंदूर, कुमकुम, रोली, अक्षत, पान, दूर्वा और मोदक चढ़ाएं। इसके बाद गणेश चालीसा और गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ कर लें। आखिर में विधिवत आरती करें।

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