भोपाल, कोरोना आपदा की मार के बाद अब छोटे मझोले व्यापारी, दुकानदार, फुटकर विक्रेता ब्याज के मकड़जाल में उलझ गए है। राजधानी में ब्याज का धंधा बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है। सूदखोर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर दो से 15 प्रतिशत तक ब्याज वसूल कर रहे हैं। इसके लिए वह बाकायदा रुपये उधार लेने वाले से चेक व प्रामेसरी नोट बना लेते हैं। इसके आधार पर ब्याज नहीं भरने की स्थिति में कानून का फायदा उठाकर संबंधित को परेशान करते हैं। सूदखोरी से परेशान होकर राजधानी में एक कारोबारी ने अपने परिवार के पांच लोगों के साथ खुदकुशी कर ली थी। बाद में पुलिस ने सूदखोर महिलाओं पर एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तारी भी की थी। इसके बाद भी सूदखोरी के मामले सामने आते रहते हैं।
कैसे होता है सूदखोरी का व्यापार
सूदखोरों ने रुपये लेने वाले हर व्यक्ति की डायरी बना रखी है। डायरी चलाने वाला या फिर उसी का कोई कर्मचारी व्याज व मूलधन जोड़कर रोज की किस्त लेता है और डायरी में एंट्री करता है। मासिक वसूली भी की जाती है। पैसे मिलने में देरी होने पर अतिरिक्त ब्याज जोड़ दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक बगैर लाइसेंस के सूदखोर शहर में गरीब व जरूरतमंद व्यापारियों को ब्याज पर रुपये देते हैं।
ऐसे समझें सूदखोरों का गणित
किसी छोटे व्यापारी ने रुपयों की जरूरत पर एक लाख रुपये लिए। उस व्यापारी से रुपये लौटाने की समय सीमा पूछकर उतने समय का पांच रुपये सैकड़ा का ब्याज जोड़कर सूदखोर किस्त बना देगा। संबंधित व्यापारी से रोज राशि ली जाती है। यदि व्यापारी राशि लौटा नहीं पाता तो जुर्माना लगाया जाता जो ब्याज से अलग होता है।
इस कारण व्यापारी या युवा फंसते हैं सूदखोरी में
सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार जन जन तक नहीं हो पाया है, सरकारी योजनाओं की जानकारी न होना, योजनाओं में मांगे गए आवश्यक दस्तावेज छोटे व्यापारियों के पास मजबूत नहीं होते है, इसके चलते बैंक उन्हें लोन नहीं देती। यदि दस्तावेज पूरे भी हों तो बैंक की कागजी कार्रवाई लंबी होने से व्यापारियों मजबूर होकर सूदखोरों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है।
इन बातों का रखें ख्याल
बगैर लाइसेंस वाले सूदखोर धमकाकर ज्यादा ब्याज लेता है तो इसकी शिकायत पुलिस को करें। ब्लैंक चेक न दें। निर्धारित ब्याज सहित राशि लिखकर चेक सौंपें। कोई भी व्यक्ति बगैर लाइसेंस के प्रामेसरी नोट नहीं लिखवा सकता। यह गैरकानूनी है।