कम उम्र में भी बढ़ने लगा है आस्टियोपोरोसिस का खतरा

The risk of osteoporosis has started increasing even at a young age

 

हड्डियों का कमजोर होना आस्टियोपोरोसिस कहलाता है। बाडी मास इंडेक्स लास के पहले लेवल को आस्टियोपेनिया के रूप में जाना जाता है। इससे हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है।

हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. अविनाश मंडलोई के अनुसार, इसमें शुरुआत में हड्डियों को नुकसान होना शुरू होता है तो कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन बाद में यह खतरनाक साबित हो सकता है। वैसे तो आस्टियोपोरोसिस 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में अधिक होता है, लेकिन अब यह पुरुषों के साथ ही कम उम्र के लोगों को भी होने लगा है। आस्टियोपोरोसिस सिर्फ कैल्शियम की कमी के कारण ही नहीं होता है।

महिलाओं में एस्ट्रोजन बीएमडी लेवल को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बदलती जीवनशैली, खान-पान की खराब आदतें, अनुवांशिकता के साथ ही एक्सरसाइज में कमी, कैल्शियम की कमी, विटामिन डी की कमी, प्रोटीन की कमी, धूमपान, अधिक शराब का सेवन, वजन कम होना आदि इसके होने के मुख्य कारण हैं।

आमतौर पर आस्टियोपोरोसिस की तरफ तब तक किसी का ध्यान नहीं जाता, जब तक कोई व्यक्ति फ्रैक्चर से पीड़ित नहीं होता। लेकिन अगर पीठ दर्द, बोन फ्रैक्चर या शरीर का पोश्चर झुका हुआ लगे तो यह आस्टियोपोरोसिस के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं।

इससे बचाव के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें, कैल्शियम और विटामिन डी लें, मोटापा कम करें, धूमपान और शराब का सेवन छोड़ दें। इसके निदान के लिए कैल्शियम और प्रोटीन युक्त डाइट, हार्मोनल थेरेपी एवं रिप्लेसमेंट थेरेपी जैसे समाधान मौजूद हैं।

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